• Hindi Poetry | कविताएँ

    किसे पता था

     किसे पता था
     के एक दिन ये चेहरा
     मुझ से यूँ जुड़ जायेगा
     अपरिचित अनजान वो
     मेरी पहचान बन जायेगा
     किसे पता था
     ये मौक़ा भी आयेगा
     परिचय कोई कारवायेगा
     पहचाने उस चेहरे को
     एक नाम वो दिलायेगा
     किसे पता था
     जान पहचान एक दिन
     दोस्ती भी बन जायेगी
     पटरियाँ साथ साथ चलते
     इतनी दूर आ जायेंगी
     किसे पता था
     रेल के उन डिब्बों में बैठ
     आते जाते बतियाते
     दिलों की डोर
     यूँ बंध जायेगी
     किसे पता था
     सात क़दम चल
     सात वचन ले कर
     हमसफ़र जीवन के
     हम दोनों बन जायेंगे
     किसे पता था 
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बीते लम्हे

    बीते लम्हे, लोग और दिन
    लौट के वापस आते नहीं हैं
    गुज़रते कारवाँ के हैं ये राही
    सिर्फ़ अपने निशान छोड़ जाते हैं

    टेढ़े मेढ़े हैं जीवन के रास्ते मगर
    कई बार उसी मोड़ से जाते हैं
    चलते क़दम जाने अनजाने
    किसी मंज़र पे थम जाते हैं

    यादों को कभी मलहम बना
    तो कभी सदा कह के बुला लाते हैं
    फिर एक बार कुछ पल के लिए ही सही
    याद किसी के होने का एहसास दिलाती हैं

    यादों के कारवाँ चलते हैं जब
    निशानियों पे रास्ते फिर बन जाते हैं
    बीते लम्हे, लोग और दिन
    सब लौट आते हैं
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    सहर

    क्या एहम है जीने में
    हर ज़िन्दगी जब साथ मौत लाती है
    क्यों ढूँढे अलग अलग रास्ते
    जब मंज़िल एक बुलाती है
    
    क्या है ऐसा ख़ीज़ा में
    जो बहारों की याद सताती है
    क्यों गर्म ख़ुश्क हवाएँ
    भूली कोई ख़ुशबू साथ लातीं है
    
    भला क्या मर्ज़ है आख़िर रिश्तों का
    के हाज़िर को अनदेखा करते हैं
    जो बिछड़ गए कोई गर चले गए
    उनके लिए अश्क़ बहाते हैं
    
    हर आग़ाज़ और अंजाम के बीच
    एक कहानी आती है
    जो लफ़्ज़ों में बयान होती नहीं
    फ़क़त देखी दिखाई जाती है
    
    क्या हासिल है ग़म भरने में
    ये जान कर के ख़ुशी आती जाती है
    क्यों किसी शब के अँधेरे को ज़ाया कहें
    गुज़र के जब वो रौशन सहर लाती है 
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ए ज़िन्दगी

    ज़िंदगी तुझ से न कम मिला न ही ज़्यादा पाया
    खुशियाँ मिली तो गमों का भी दौर आया
    मिली दीवाली सी रोशनी तो कभी दिया तले अंधेरा पाया
    तूने जब दी तनहाई मुड़ के देखा तो साथ कारवाँ पाया
    क्यों करें शोक हम तेरी किसी बात का
    क्यों ज़ाया करें अभी तुझ पे जस्बात
    तू जो भी दे मज़ा तो हम पूरा लूटेंगे
    गिरें गर कभी तो फिर उठ खड़े होंगे
    इंतेज़ार है उस दिंन का जब होंगे तेरे सामने
    तेरी हर एक देन को "once more" कहेंगे
    तब तक किसी चीज़ से शिकवा है न किसी से मलाल
    तू जो भी दे मंज़ूर है गवारा है हर हाल
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    फुर्सत

    ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है
    क्यों हर कोई यह कहता के उसको बहुत काम है
    
    इस तेज़ दौड़ती, बटे लम्हों में कटती ज़िन्दगी का, चलना ही क्यों नाम है
    कैसे रूकें, कब थामें, एक पल को भी न आराम है
    
    कब घिरे कब छटे ये बादल, आये गए जो मौसम सारे न किसी को सुध न ध्यान है
    पलक झपकते बोले और चले जो, अपना खून खुद से अनजान है
    
    ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है
    बस यही तो है जो अनमोल हो कर भी बेदाम है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ये जो है ज़िन्दगी…

    आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
     मानो मुट्ठी में सिमट ही गयी है ज़िन्दगी
     साढ़े पांच इंच के स्क्रीन में कट रही है ज़िन्दगी
    
     इंसानों से स्मार्ट फोनों में
     बढ़ती भीड़ के तन्हा  कोनों में
     लोगो की बंद ज़ुबानों में
     कच्चे या पक्के मकानों में
    
     बस अब अकेले मुस्कुराने का नाम है ज़िन्दगी
     संग हमसफ़र के एकाकी बीतने का नाम है ज़िन्दगी
     आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
    
     आजकल  बच्चे पड़ोस की घंटी नहीं बजाते
     गुस्सैल गुप्ता जी का शीशा फोड़ भाग नहीं जाते
     स्कूल बस के स्टॉप पे खड़ी मम्मियाँ आपस में नहीं बतियाते
     दफ्तर से लौट दिन भर की खबर मांगने वाले वो पापा नहीं आते
    
     अब फेसबुक पे लाइक और  चैट-ग्रुप में क्लैप करने का ढंग है ज़िन्दगी
     फुल एचडी विविड कलर में भी बेरंग हो चली है ज़िन्दगी
     आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी