Humsafar(हम)सफर
मीलों का ये सफ़र है
तेरे संग जो है तय करना
एक नहीं कई मंज़िलें हैं
तेरे साथ जिनको है पाना
मिलेंगे राहगुज़ार और भी हमें
कुछ मिलनसार कुछ बदमिज़ाज होंगे
कोई उकसायेगा कोई भटकायेगा हमें
जूझेंगे उनसे और हर सितम झेल लेंगे
मुश्किलें भी कई पेश आयेंगी
हालात हमारे ख़िलाफ़ होंगे
कुछ पल को राहें भी जुदा लगेंगी
मगर एक दूसरे को हम सँभाल लेंगे
सात कदम, सात जन्म, सात समंदर
मेरी नज़र में हर दूरी तेरी सोहबत में कम है
तू जहाँ वहीं चैन वहीं सुकून है दिल के अंदर
मोहब्बत और दोस्ती पाने नहीं निभाने का नाम हैएक ऐसा यार
न पूछे क्यों न सोचे कभी दो बार लड़ जाए भिड़ जाए सुन के बस एक पुकार रब करे सबको मिले बस एक ऐसा यार खाए जो बड़ी क़समें उठाए जो नख़रे हज़ार निभाए सारी वो रस्में झेलकर भी सितम करे प्यार दुआ है संग सदा मिले बस एक ऐसा यार पूरी करे जो तलब कश हो या जाम मिले तैयार महूरत मान ले फ़रमाइश को न दिन देखे न देखे वार जब मिले तेरे सा मिले बस एक ऐसा यार
यारी
यादों के लम्बे पाँव अकसर रात की चादर के बाहर पसर जातें हैं आवारा, बेखौफ़ ये हाल में माज़ी को तलाशा लिया करतें हैं ख्वाबों में आने वाले खुली आँखों में समाने लगतें हैं फिर एक बार बातों के सिलसिले वक्त से बेपरवाह चलतें हैं वो नादान इश्क की दास्तानें वो बेगरज़ यारियाँ समाँ कुछ अलग ही बँधता है जब बिछडे दोस्त मिला करतें हैं यादों के लम्बे पाँव अकसर रात की चादर के बाहर पसर जातें हैं
दोस्ती की expiry date
क्या दोस्ती की भी expiry date होती है या उम्र भर साथ की guarantee होती है कल की नोंक झोंक आज जाने क्यों दिल दुखाने लगती है अचानक कोई भूली बात जबरन आ आ के सताने लगती है ना मालूम क्यों उम्मीदों का traffic one way हो जाता है कभी हँसते थे संग जिसके वो क्यों रूला रूला के जाता है जो चैन देता था कल आज वही चुराता है शायद हर दोस्ती में ये दौर भी आता है ख़िज़ा की रुत होगी ये कभी न कभी तो बदल जानी है बहार जब तलक फिर न आए तब तक हर हाल निभानी है कहाँ दोस्ती की कोई expiry date होती है यहाँ तो उम्र भर साथ की guarantee होती है
चलो… (कुछ करते हैं)
चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं कुछ पुरानी बातें कुछ रूमानी संग भरते हैं बादलों में अपने रंग भूली यादों की लड़ी पिरोते हैं याद है जब चौक पे गाड़ी रोक के कभी नयी कभी अध जली सिगरेट जलाते थे फटे स्पीकरों से ऊँची आवाज़ में गीत गाते थे दोस्ती की क़समें खाते थे सीना ठोक के एक बार तो छोड़ भी आया था ना बीच राह में बनाया था कुछ अजीब सा ही बहाना ख़ूब हुई मिन्नतें चला था रूठना मनाना शब गुज़ारते हैं ऐसी ही किसी क़िस्से की बात में चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं कुछ अलग बातें कुछ बदले ढंग उड़ाते है क़िस्सों की नयी पतंग किसी की याद में एक ताज़ा याद बनाते हैं
दोस्ती का हिसाब
एक रोज़ बस यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे मस्ती, समझदारी, वफ़ादारी और बेवक़ूफ़ी के नाम हिस्से बटे कुछ दोस्त इधर बटे और कुछ यार उधर बटे कुछ तो ऐसे थे जो सोच से ही छटे एक रोज़ जब यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे सिर्फ़ मस्ती करने वाले दोस्तों की कसर न दिखी बेवक़ूफ़ियों और बेवक़ूफ़ों की गिनती भी कम न थी जब आढ़े वक़्त ने आज़मा के देखा तो एक-आध वफ़ादार भी मिले एक रोज़ जब यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे हमने जाना की कुछ दोस्त ऐसे भी थे जो किसी भी खेमे में न बट सके कुछ नायाब जो दोस्त से ज़्यादा थे, कुछ वो जो दोस्ती के ही क़ाबिल न थे
एक ऐसा यार
न पूछे क्यों न सोचे कभी दो बार लड़ जाए भिड़ जाए सुन के बस एक पुकार रब करे सबको मिले बस एक ऐसा यार खाए जो बड़ी क़समें उठाए जो नख़रे हज़ार निभाए सारी वो रस्में झेलकर भी सितम करे प्यार दुआ है संग सदा मिले बस एक ऐसा यार पूरी करे जो तलब कश हो या जाम मिले तैयार महूरत मान ले फ़रमाइश को न दिन देखे न देखे वार जब मिले तेरे सा मिले बस एक ऐसा यार