• Hindi Poetry | कविताएँ

    दिवाली

    इस बरस दिवाली के दियों संग
    कुछ ख़त भी जल गये 
    कुछ यादों की लौ कम हुई 
    कुछ रिश्ते बुझ गये 
    भूले बंधनों के चिरागों तले अँधेरे जो थे
    वो मिट गये
    बनके बाती जब जले वो रैन भर
    सारे शिकवे जो थे संग ख़ाक हो गये
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    आशाएँ

    लो आ गया जन्मदिन, आ गयी फिर एक सालगिरह
     हम इस गोले संग एक सौर्य परिक्रमा और कर आए
     कुछ साल पहले तक तो थे काले घने
     अब तो दाढ़ी के बाल भी पकने को आए
     उम्मीदें जो बचपन ने जवानी से की थी
     कुछ भूल ही गए, कुछ सच हुईं, कुछ निभी न निभाए
     दौर तो अच्छे बुरे जैसे तैसे सारे ही बीत गये
     हासिल तो वो है जो दोस्त सदा संग पाए
     आशाएँ जीवन से आज भी हैं समय अब चाहे जितना हो
     ज़रूरी ये नहीं के सारी पूर्ण हों, बस कोई कोशिश अधूरी न रह जाए
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बदलते रिश्ते

    नाज़ुक होतें हैं ये
     सम्हाल कर इन्हें रखिएगा
     रेशम की डोरियाँ हैं ये
     गर तन जायें तो ज़ख़्म ही पाइएगा
    
     क्यों कर उलझते हैं रिश्ते
     सर्द शीशे से चटक जातें हैं रिश्ते
     जाने कब और कैसे बिखर जातें हैं
     यकायक अपने बेपरवाह हो जातें हैं
    
     कब बचा है कोई इस रंज-ओ-ग़म से 
     किसे मिलती है दवा जियें जिस के दम पे 
     यारी दोस्ती प्यार वफ़ा सब बेमानी है 
     बिगड़ी भली जैसी हो बस चलानी है
    
     गाँठ पड़ी डोर तो कमज़ोर हो ही जाती है 
     जुड़े आइने में दरार फिर भी नज़र आती है
     नाते रिश्तों की तो बस यही कहानी है 
     जो हाथ लगा वो मिट्टी जो बह गया सो पानी है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    यक़ीन-ए-इश्क़

    भुला पाओगे नहीं ये यक़ीन है मेरा 
     जाओ फिर भी तुम्हें ये मौक़ा दिया
     कहाँ पाओगे ऐसा जैसा प्यार मेरा
     लो ये भी दुआ दे आज़ाद किया
    
     नहीं देंगे तुझे आवाज़ फिर 
     न देखेंगे कभी फिर कूचा तेरा 
     भुला देंगे सब कुछ तेरे ख़ातिर
     न याद कराएंगे कोई वादा तेरा
    
     दूर कहीं जा कर दुनिया से मेरी 
     नया अपना जहाँ बसा लेना 
     भूले से महक न आए मेरी 
     काग़ज़ के फ़ूल सजा लेना 
    
     गर याद फिर भी आए जो मेरी 
     आँखें अपनी बंद कर लेना 
     दिल तोड़ेंगे तेरा ख़्यालों में तेरी
     तुम बेवफ़ा मुझे फिर कह देना 
    
     ये इल्ज़ाम भी अपने सर ले लेंगे
     बस तुम अपना सब्र रख लेना 
     इश्क़ किया था माफ़ भी कर देंगे
     बस एक फ़ूल मेरी कब्र पर रख देना 
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    धुन

    अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
     सुर उसके सासों से सजते हैं
     और देती धड़कनें ताल हैं
    
     दबी हुई थी कहीं वो सालों से
     जाने किस पल के इंतेज़ार में
    
     ख़ुद से ख़ुद बेख़बर हो के 
     मानो कुछ ढूँड़ रही थी फ़िलहाल में
    
     एकाएक दिल के ढोल जब बजने लगे
     सहमे सुस्त पड़े पैर थिरकने लगे
    
     होंठ बजाने लगे जब यूँ ही सीटियाँ
     हाथ दोनों जब स्वयं लगे देने तालियाँ
    
     लय बन लहर दौड़ गई है जो 
     जीवन को जीवन्त कर रही है वो
    
     हर तान से एक नई तरंग जो उठती है 
     इश्क़ नाम है धुन का - वही ज़िंदगी है
    
     अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    सपना

    Building a dream!
    चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     ख़्वाबों के हसीन जहाँ के
     कुछ रंग तुम चुनो
     और कुछ मैं चुनूँ
     आसमान में रंग भरतें हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     छोटे से इक घोंसले के
     कुछ तिनके तुम जोड़ो
     और कुछ मैं जोड़ूँ
     आशियाँ अपना पिरोते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     प्यार भरे दिल की
     एक धड़कन तुम बनो
     एक धड़कन मैं बनूँ
     जीवन ताल बनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     अपने प्रेम गीत के
     कुछ बोल तुम लिखो
     कुछ बोल मैं लिखूँ
     धुन नयी चुनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं