न्योता (Nyota)
महज़ वक़्त के बीतने से किसीकी याद घटती नहीं बिछोड़े के काटे से रिश्तों कि डोर कटती नहीं दिलों में छपी तस्वीरें अंधेरों में ओझल होतीं नहीं विचलित मन की आँखों में नींद आसानी से समाती नहीं ख़यालों में गूँजती पुकार खुली आँख सुनाई देती नहीं ये जो ऋणों का बंधन है वो चुकाये उतरता नहीं कोई है उस पार गर जहाँ तो बिन बुलावे के कोई जा पाता नहीं फ़िलहाल कोशिश है खुश रखें और रहें दुःख अपना अपनों पे और लादा जाता नहीं जीवन है, हर धुन, हर रंग में रमना है, रमेंगें द्वार पे जब तक यम न्योता ले के आता नहीं
Humsafar(हम)सफर
मीलों का ये सफ़र है
तेरे संग जो है तय करना
एक नहीं कई मंज़िलें हैं
तेरे साथ जिनको है पाना
मिलेंगे राहगुज़ार और भी हमें
कुछ मिलनसार कुछ बदमिज़ाज होंगे
कोई उकसायेगा कोई भटकायेगा हमें
जूझेंगे उनसे और हर सितम झेल लेंगे
मुश्किलें भी कई पेश आयेंगी
हालात हमारे ख़िलाफ़ होंगे
कुछ पल को राहें भी जुदा लगेंगी
मगर एक दूसरे को हम सँभाल लेंगे
सात कदम, सात जन्म, सात समंदर
मेरी नज़र में हर दूरी तेरी सोहबत में कम है
तू जहाँ वहीं चैन वहीं सुकून है दिल के अंदर
मोहब्बत और दोस्ती पाने नहीं निभाने का नाम हैफ़िलहाल
कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए इतना बदला हुआ मेरा अक्स है लगता है जैसे आइने बदल गए अभी तो कारवाँ साथ था ज़िंदगी का जाने किस मोड़ रास्ते जुदा हो गए अब तो साथ है सिर्फ़ अपने साये का जो थे सर पर कभी वो अचानक उठ गए यूँ लगता जैसे किसी नई दौड़ का हिस्सा हूँ किरदार कुछ नए कुछ जाने पहचाने रह गए शुरूवात वही पर अंत नहीं एक नया सा क़िस्सा हूँ जोश भी है जुंबिश भी जाने क्यूँ मगर पैर थम गए एहसास एक भारी बोझ का है सर और काँधे पे भी पास दिखाई देते थे जो किनारे कभी वो छिप गए प्रबल धारा में अब नाव भी मैं हूँ और नाविक भी देखें अब आगे क्या हो अंजाम डूबे या तर गए इतने बदले हम से उसके अरमान हैं लगता है ज़िंदगी के पैमाने बदल गए कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए
किसे पता था
किसे पता था के एक दिन ये चेहरा मुझ से यूँ जुड़ जायेगा अपरिचित अनजान वो मेरी पहचान बन जायेगा किसे पता था ये मौक़ा भी आयेगा परिचय कोई कारवायेगा पहचाने उस चेहरे को एक नाम वो दिलायेगा किसे पता था जान पहचान एक दिन दोस्ती भी बन जायेगी पटरियाँ साथ साथ चलते इतनी दूर आ जायेंगी किसे पता था रेल के उन डिब्बों में बैठ आते जाते बतियाते दिलों की डोर यूँ बंध जायेगी किसे पता था सात क़दम चल सात वचन ले कर हमसफ़र जीवन के हम दोनों बन जायेंगे किसे पता था
बीते लम्हे
बीते लम्हे, लोग और दिन
लौट के वापस आते नहीं हैं
गुज़रते कारवाँ के हैं ये राही
सिर्फ़ अपने निशान छोड़ जाते हैं
टेढ़े मेढ़े हैं जीवन के रास्ते मगर
कई बार उसी मोड़ से जाते हैं
चलते क़दम जाने अनजाने
किसी मंज़र पे थम जाते हैं
यादों को कभी मलहम बना
तो कभी सदा कह के बुला लाते हैं
फिर एक बार कुछ पल के लिए ही सही
याद किसी के होने का एहसास दिलाती हैं
यादों के कारवाँ चलते हैं जब
निशानियों पे रास्ते फिर बन जाते हैं
बीते लम्हे, लोग और दिन
सब लौट आते हैंसहर
क्या एहम है जीने में हर ज़िन्दगी जब साथ मौत लाती है क्यों ढूँढे अलग अलग रास्ते जब मंज़िल एक बुलाती है क्या है ऐसा ख़ीज़ा में जो बहारों की याद सताती है क्यों गर्म ख़ुश्क हवाएँ भूली कोई ख़ुशबू साथ लातीं है भला क्या मर्ज़ है आख़िर रिश्तों का के हाज़िर को अनदेखा करते हैं जो बिछड़ गए कोई गर चले गए उनके लिए अश्क़ बहाते हैं हर आग़ाज़ और अंजाम के बीच एक कहानी आती है जो लफ़्ज़ों में बयान होती नहीं फ़क़त देखी दिखाई जाती है क्या हासिल है ग़म भरने में ये जान कर के ख़ुशी आती जाती है क्यों किसी शब के अँधेरे को ज़ाया कहें गुज़र के जब वो रौशन सहर लाती है
ए ज़िन्दगी
ज़िंदगी तुझ से न कम मिला न ही ज़्यादा पाया खुशियाँ मिली तो गमों का भी दौर आया मिली दीवाली सी रोशनी तो कभी दिया तले अंधेरा पाया तूने जब दी तनहाई मुड़ के देखा तो साथ कारवाँ पाया क्यों करें शोक हम तेरी किसी बात का क्यों ज़ाया करें अभी तुझ पे जस्बात तू जो भी दे मज़ा तो हम पूरा लूटेंगे गिरें गर कभी तो फिर उठ खड़े होंगे इंतेज़ार है उस दिंन का जब होंगे तेरे सामने तेरी हर एक देन को "once more" कहेंगे तब तक किसी चीज़ से शिकवा है न किसी से मलाल तू जो भी दे मंज़ूर है गवारा है हर हाल
फुर्सत
ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है क्यों हर कोई यह कहता के उसको बहुत काम है इस तेज़ दौड़ती, बटे लम्हों में कटती ज़िन्दगी का, चलना ही क्यों नाम है कैसे रूकें, कब थामें, एक पल को भी न आराम है कब घिरे कब छटे ये बादल, आये गए जो मौसम सारे न किसी को सुध न ध्यान है पलक झपकते बोले और चले जो, अपना खून खुद से अनजान है ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है बस यही तो है जो अनमोल हो कर भी बेदाम है