• Hindi Poetry | कविताएँ

    अनकही

    मैंने अनकही सुनी है
    
     सुनी है मैंने वो सारी बातें
     जो किसी ने मुझसे न कही है
    
     सहमी हुई धडकनों की आवाज़
     छपक्ति पलकों के अंदाज़
    
     तेज़ दौड़ती साँसों की हर बात
     इन सब में छुपे वो सारे राज़
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     मुस्कुराहटों के तले दबी तड़पन
     बदलते सुलघते रिश्तों में पड़ती अड़चन
    
     बर्बादी की ओर बढ़ते कदम
     अंजाम से अनजान बेपरवाह  उन सभी समझौतों को
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     ऊँची उड़ानों में डूबते अरमानों को
     बुरे वक़्त में बदलते इंसानों को
     दोस्ती में पड़ती दरारों का आगाज़
     टूटे दिल में थमती हरकत
     मासूम आँखों ने जो पूछे  तमाम उन सभी सवालों को
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     सुनी है मैंने वोह सारी बातें
     जो किसी ने मुझसे न कही है
    Listen to the recitation
  • English Poetry

    Remember

    Remember the time when we were WE
     Remember when would be together and could just BE
     Times when doing nothing together meant EVERYTHING
     Times when arguing was just a way of TALKING
     Remember saying what we meant and meaning what we SAID
     Remember never wishing for a lifetime but always FOREVER
     Times when making out meant way more than LOVEMAKING
     Times when we gave it all but nothing was really worth TAKING
     Remember when we could hear every thought without SAYING
     Remember feeling the pain without anyone HURTING
     Times of living in the moment and every moment worth a MEMORY
     Times of breathing easy around each other and making it easy to BREATHE
     Wonder why life feels like all of it was a LIFETIME AGO
     Wonder what came over us where did all the time GO
     Time perhaps to count our blessings and making the blessing COUNT
     Time to stop changing what we had and remembering to make that CHANGE
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    रिश्ता-ए-उम्मीद

    उम्र भर निभे ऐसी ही दोस्ती हो
     कहाँ और किस किताब में लिखा है
     गरज़ और ग़ुरूर के बाटों के बीच
     हर रिश्ता कभी न कभी पिसा है
    
     कुछ कही तो अक्सर अनकही
     आदतों हरकतों का भी असर बड़ा है
     कहते एक दूसरे को लोग कम मगर
     ख़ुशहाल रिश्ते के आढ़े अरमान खड़ा है
    
     बुरी आदत है ये उम्मीद रखने की
     कमबख़्त कौन कभी इस पे खरा उतरा है
     आइने में खड़े शक्स को भी ज़रा टटोलो
     कौन सा वादा उसने भी कभी पूरा किया है