फ़िलहाल
कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए इतना बदला हुआ मेरा अक्स है लगता है जैसे आइने बदल गए अभी तो कारवाँ साथ था ज़िंदगी का जाने किस मोड़ रास्ते जुदा हो गए अब तो साथ है सिर्फ़ अपने साये का जो थे सर पर कभी वो अचानक उठ गए यूँ लगता जैसे किसी नई दौड़ का हिस्सा हूँ किरदार कुछ नए कुछ जाने पहचाने रह गए शुरूवात वही पर अंत नहीं एक नया सा क़िस्सा हूँ जोश भी है जुंबिश भी जाने क्यूँ मगर पैर थम गए एहसास एक भारी बोझ का है सर और काँधे पे भी पास दिखाई देते थे जो किनारे कभी वो छिप गए प्रबल धारा में अब नाव भी मैं हूँ और नाविक भी देखें अब आगे क्या हो अंजाम डूबे या तर गए इतने बदले हम से उसके अरमान हैं लगता है ज़िंदगी के पैमाने बदल गए कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए
Drifting
Sometimes you are struck By a feeling that overwhelms A strange discomforting sense Of a total lack of control You are drifting The waters are calm You sense no turbulence Just an inexplicable fear Uneasy and unware You are still but sinking You seek happiness Peace and joy A good life You try maintain pace The ground beneath is shifting Get a grip You coax yourself Draw deep for strength Look around for motivation Believe there’s a silver lining Winds change direction Things fall into place You get dealt a good hand Hmmm you wonder if The tide is turning Green shoots around you Blue skies on the horizon You are in a better place It’s a new view Life has a new meaning The low felt really low Took away all you had You were tough though Took a couple on the chin The real deal is not loosing The high it may not remain Troubles they may visit again But one thing is for sure It’s the tussle in between That makes life worth living
आज… कल…
मेरा आज जाने क्यों मेरे कल से रूठा है पल पल कुढ़ता है उसे सोच के जो बीता है नाराज़गी इस क़दर है की कहता है कल झूठा है कैसे बतलाऊँ की हर आज बीते कल में भी जीता है सपने तो बहुत देखें थे आज के लिए मेरे कल ने अरमान भी बड़े बड़े सजाए थे मुस्तकबिल के कितनी शिद्दत भरी थी कल की हर एक दुआ में महनत भी शामिल थी जिसके की कल काबिल थे पर मेरे आज को तो अपनी हक़ीक़त से मतलब है जो सच हुआ, हो पाया, बस वही तो आज और अब है हसरतें लेकिन मेरे आज की भी कम नहीं, बहुत हैं कुछ ज़्यादा, कुछ बेहतर, कुछ बढ़कर मेरे आज की तलब है क्यों मेरा आज बीते अपने ही कल को नहीं पहचानता क्यों वो अपना समझ के मेरे कल का हाथ नहीं थामता आनेवाली सुबह में खुद गुल हो जाएगा क्यों नहीं मानता वो भी किसी आज का कल होगा क्या ये नहीं जानता भला सोचो सब जान के भी यूँ अनजान बना क्यों मेरा आज पड़ा है किस लिए आज ज़िद्द पकड़े अपनी बात पे ही ऐसे अड़ा है पहला तो नहीं है शायद मेरा ये आज जो अपने कल से लड़ा है एक बीत गया, एक आया नहीं, बस यही आज है जो वास्तव में खड़ा है
अक्स
याद है क्या तुमको वो ज़माना College के lecture में न जाना बना के कोई भी अजीब सा बहाना नज़दीक के cinema पे overtime लगाना कितनी बेफ़िक्री से जिया करते थे हम यारी दोस्ती इश्क़ मोहब्बत का भरते थे दम उम्मीदें थी मुस्तकबिल से और माज़ी से गिले कम मज़बूती से पड़ा करते थे ज़मीन पे कदम चलो उसी भूले खोए खुद को ढूँदतें हैं एक साँस इस दौड़ती ज़िंदगी को रोक के लेतें हैं अपने जवान अक्स को एक मौक़ा और देतें हैं आने वाले हर लम्हे से ख़ुशी को घोट के पीतें हैं