आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
मानो मुट्ठी में सिमट ही गयी है ज़िन्दगी
साढ़े पांच इंच के स्क्रीन में कट रही है ज़िन्दगी
इंसानों से स्मार्ट फोनों में
बढ़ती भीड़ के तन्हा कोनों में
लोगो की बंद ज़ुबानों में
कच्चे या पक्के मकानों में
बस अब अकेले मुस्कुराने का नाम है ज़िन्दगी
संग हमसफ़र के एकाकी बीतने का नाम है ज़िन्दगी
आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
आजकल बच्चे पड़ोस की घंटी नहीं बजाते
गुस्सैल गुप्ता जी का शीशा फोड़ भाग नहीं जाते
स्कूल बस के स्टॉप पे खड़ी मम्मियाँ आपस में नहीं बतियाते
दफ्तर से लौट दिन भर की खबर मांगने वाले वो पापा नहीं आते
अब फेसबुक पे लाइक और चैट-ग्रुप में क्लैप करने का ढंग है ज़िन्दगी
फुल एचडी विविड कलर में भी बेरंग हो चली है ज़िन्दगी
आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी