झलक
देखते देखते पूरा एक साल बीत गया
श्रृष्टि के नियमानुसार फ़िर काल जीत गया
जीवन है, लगी तो रहती ही है आनी जानी
इस ताल को वश में कर पाया नहीं कोई ज्ञानी
समय और संवेदना हृदय की पीड़ा हर नहीं पाते
कुछ रिश्ते किसी भी जतन भुलाए नहीं भुलाते
साये जो हट जातें हैं बड़ों के कभी सिर से
लाख चाहे किसी के मिल नहीं पाते फ़िर से
जीवन का चक्का तो निरंतर घूमता ही रहता है
हर पल हर दिन एक नई कहानी गढ़ देता है
पात्र बदल जातें हैं कुछ, कुछ बदले आतें हैं नज़र
मोह का भी क्या है नया बना लेता है अपना घर
दौड़ती फिरती है ये यादें मगर कुछ बेलगाम सी
बातों और आदतों में ढूँढ लेती हैं झलक उनकी
बीते दिनों के किस्सों से अपना मन भर लेता हूँ
मन हो भारी तो उनको बंद आँखों में भर लेता हूँचिट्ठी
मैं ख़ुश हूँ पापा
और मुझे मालूम है
के इस बात को जान
आप कई ज़्यादा ख़ुश होते
बीते चार सालों में
कुछ पाया और
बहुत कुछ खोया है
“जीवन है”, आप यही कहते
बड़ी वाली की बातों
छोटी की आदतों
आपकी बहू के अक्खड़पन में भी
आप मुझे नज़र आते हो
हर रोज़ मैं अपने आप को
आपके जैसे किसी साँचे में
ढालने की हिम्मत जुटाता हूँ
कुछ देर के लिए आप बन जाता हूँ
बातें तो बहुत और भी थीं
जो बताने सुनाने की सोची थी
आप पास ही हो कहीं शायद
क्योंकि इस ख़याल से अब भी सहम जाता हूँजो तुम होतीं
अरसे से दिल कुछ भारी सा है
एक ख़याल दिमाग़ पे हावी सा है
माँ आज जो तुम दुनिया में होतीं
तो पूरे अस्सी साल की हो जातीं
तुम्हारे ना होने की आदत ही नहीं डल रही
इतनी यादें हैं तुम्हारी जो धुंधली नहीं पड़ रहीं
हर सुबह की वो नोंक-झोंक के चाय कौन बनाएगा
या इस बात पे बहस की क्या कभी देश में
राम राज्य आयेगा
कईं और भी मनसूबे किए थे जो बिखरे पड़े हैं
ख़त्म होने चलें हैं आँसू मेरे, नैनों में सूखे पड़ें हैं
इस बरस cake की मोमबत्ती नहीं तेरी याद में दिया जलेगा
वक्त को अब धीरे धीरे मेरा ये ज़ख़्म भी भरना पड़ेगाएहसास (ehsaas)
आज दिल में एक भारी सा एहसास है
यादों से लदी हुई हर घड़ी हर सॉस है
वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम है ऐसा कहते हैं
जाने क्यों मगर ज़िन्दगी के घाव ताज़ा ही रहते हैं
सजा के तो कई अरमान रखे थे यूँ लोगों ने
अब तो वो भी ग़ुम हो गए संजोए थे जिन्होंने
आँगन में धूप तो आज भी वही खिलती है
बारिश की बूँदे वही अटखेलियाँ करती हैं
पसंदीदा पकवानों में सिमटा उस रिश्ते का ज़ायक़ा है
बच्चों की किसी हरकत में अब होता आभास है
अकेले हो जाने का दर्द यूँ बस सम्भाला है मैने
दिल में हैं महफूज़ अज़ीज़ जहाँ रहना था उन्होंनेमाँ (Maa)
जाने कितनी दफ़ा कंधे पे तेरे सर रख के घंटों सोया हूँ मैं जाने कितनी दफ़ा तेरे आँचल तले बिलख़ के रोया हूँ मैं जाने कितनी दफ़ा मेरी छोटी सी छींक ने रात भर जगाया होगा जाने कितनी दफ़ा मेरी किसी नादानी ने तेरा दिल दुखाया होगा जाने कितनी दफ़ा मेरे भविष्य की चिंता तूने की होगी जाने कितनी दफ़ा मेरी एक पुकार पे तुम हर काम छोड़ भागी होगी जाने कितनी दफ़ा ये सोचता हूँ क्या मैंने तुम्हें गर्वान्वित होने का कभी मौक़ा दिया जाने कितनी दफ़ा ये सोचता हूँ क्या अलग करता कैसे मैंने तुम्हें यूँ अचानक खो दिया जाने कितने दफ़ा मैं ख़ुद को और लोग मुझको इसे होनी की चाल बताते हैं जाने कितनी दफ़ा यादें और ख़याल तेरे होने का एहसास दिलाते हैं जाने कितनी दफ़ा फिर दो आसूँ बहा तुम्हारा स्मरण करता हूँ जाने कितनी दफ़ा शीश झुका के माँ तेरे जीवन को नमन करता हूँ
न्योता (Nyota)
महज़ वक़्त के बीतने से किसीकी याद घटती नहीं बिछोड़े के काटे से रिश्तों कि डोर कटती नहीं दिलों में छपी तस्वीरें अंधेरों में ओझल होतीं नहीं विचलित मन की आँखों में नींद आसानी से समाती नहीं ख़यालों में गूँजती पुकार खुली आँख सुनाई देती नहीं ये जो ऋणों का बंधन है वो चुकाये उतरता नहीं कोई है उस पार गर जहाँ तो बिन बुलावे के कोई जा पाता नहीं फ़िलहाल कोशिश है खुश रखें और रहें दुःख अपना अपनों पे और लादा जाता नहीं जीवन है, हर धुन, हर रंग में रमना है, रमेंगें द्वार पे जब तक यम न्योता ले के आता नहीं
A Beautiful Friendship
Wonder if things would've changed Or would they have remained the same Would we have grown into wise old men by now Or remained boys taking things as they came Life would have kept us together I'd reckon Circumstances no doubt would've made our journeys part It would have remained a beautiful friendship If only a premature end did'nt beckon Had life not made other plans You'd have turned 50 today Imagine all that we'd have done The boys in us would've had their way So in your memory we shall pour out one Sing songs all night from an infinite playlist Do things the only way we would have done Have one more and one more till morning come
Us Raat Ki Baat (उस रात की बात)
उस रात की बात कुछ और ही थी दिलचस्प क़िस्सों और यादों की होड़ सी थी नये पुराने रिश्तों बीच लगी एक दौड़ सी थी चेहरे जो धुंधला गए थे वो साफ़ खिल गए कुछ मलाल भी होंगे जो उस रात धुल गए बीते सालों का असर कहीं छिपा कहीं ज़ाहिर था गहराते रिश्तों के मंज़र का हर शक्स नाज़िर था इतनी हसीन थी मुलाक़ातें के शाम कम पड़ गई या यूँ कह दें की अपना काम बहती जाम कर गई ख़ुशियों का उठता ग़ुबार बारिश भी दबा न सकी लगी जो आग है मिलन की वो कब है रुकी उस रात की बात कुछ और ही थी उस रात की बात कुछ और ही थी
Tijori (तिजोरी)
लम्हा लम्हा बीत रही है ज़िंदगी जीवन की अपनी ही एक ताल है वक्त की किसी से नहीं है बंदगी हाल-ए-जहाँ से बेवास्ता चाल है बचपन जवानी की चोटियाँ पीछे कहीं दूर छूठ गयीं ये अधेड़ उम्र की है वादियाँ बहती दरिया है, मोड़ आगे हैं कयीं कैसे ठहरें बस जायें किसी एक लम्हे में हम बिखरे पड़े हैं यादों के ढेरों मोती चमक है कुछ में और कुछ में है कम किसी लम्हे में सुबह, किसी में शाम नहीं होती भर तो ली है हमने यादों से तिजोरी वक्त के कहाँ हुए हम धनी हैं बाज़ार में माज़ी की क़ीमत है थोड़ी क्या मालूम बस सही परख़ की कमी है टिक टिक करता रहता है गजर मसखरी सुई भी ज़िद पे अड़ी है एक तू ही नहीं महफ़िल में बेख़बर ग़ौर कर ऐसे रईसों की भीड़ लगी है
Listen to Tijori – Recited by Sudhām I am YOU!
Perhaps it’s always been the case But I have begun to feel it more these days In important and in those little things In familiar yet in undescribable ways I notice it in the way I speak Even in the way I react to what I eat It manifests in my constant worry I have changed for sure and it’s bittersweet Each day I look in the mirror the feeling grows It causes me to miss you more and then not to There are no two ways about it, I am sure I was “me” now I am “you”