• Hindi Poetry | कविताएँ

    चेहरा (ज़िंदगी का)

    कहते हैं चेहरा रूह का आइना होता है
    आइना भी मगर कहाँ सारा सच बतलाता है 
    
    हँसते खिलखिलाते चेहरों के पीछे अक़सर
    झुर्रियों के बीच गहरे ज़ख़्म दबे होते हैं
    
    चाहे अनचाहे मुखौटे पहनना तो हम सीख लेतें हैं
    हक़ीक़त मगर अपनी गली ढूँढ ही लेती है
    
    लाख छुपाने की कोशिशों के बावजूद 
    शिकन आख़िर नज़र आ ही जाती है
    
    हम सब कोई ना कोई बोझ तो उठाए दबाए फिरते हैं
    बस कभी कह के तो कभी सह के सम्भाल लेते हैं
    
    ग़म और ख़ुशी तो सहेलियाँ हैं
    कब एक ने दूजी का हाथ छोड़ा है
    
    इन दोनों के रिश्ते में जलन कहीं तो पलती है
    ज़्यादा देर एक साथ दे किसी का तो दूसरी खलती है
    
    ज़िन्दगी है कैसे और कब तक एक ताल पे नाचेगी
    ग़म लगाम है तो ख़ुशी चाबुक
     फ़ितरतन वो भागेगी
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दंगल

    वाक़िफ हैं तेरे हथकंडो से ए ज़िंदगी
    फ़िर भी उलझन पैदा कर ही देती हो
    लाख़ जतन सम्भालने के करते हैं मगर
    बख़ूब धोबी पच्छाड़ लगा पटक ही देती हो 
    
    थेथर मगर हम भी कम कहाँ
    दंगल में तेरी उठ के फ़िर कूद जातें हैं
    थके पिटे कितने ही हो भला
    ख़ुद पे एक बार और दाव लगाते हैं
    
    तुम्हारे अखाड़े की लगी मिट्टी नहीं छूटती
    बहुत चाट ली ज़मीन की धूल गिर गिर कर
    ये विजय नहीं स्वाभिमान की ज़िद्द है जो लक्ष्य नहीं चूकती
    अब निकलेंगे अपनी पीठ पे या बाज़ी जीत कर
  • English Poetry

    A Date with a Memory

    A Date with a Memory
    A Marked Calendar!
    How does one prepare
    To face impending despair
    What do you do
    When you know the blues are going to hit you
    You see the pages of calendar turn
    A date with a memory awaits
    Passing time hasn't yet healed the burns
    Of a day when you were hit by a cruel twist of fate
    You try to move on
    Carefully treading down memory lane
    Past flashing images of a loved one gone
    The heart laments, aches and pains
    The day passes punctuated with awkward silences
    With the mind and heart attempting conversation
    What one says the other refuses
    Each year its the same situation
    Someday the mind hopes the heart shall learn
    To look back and remember
    The years of pure joy 
    And not just one bad day in September
  • English Poetry

    The Perfect Circle

    Circle of Friends by Susan Vannelli used for The Perfect Circle a poem by Sudham
    Art: Circle of Friends by Susan Vannelli
    I pen these lines to say ‘Thank You’ on what my little one says is Friendship Day
    There are indeed things to express and today’s as good as any other day
    Always maintained and truly believe that friends are the family one can choose
    Our most potent weapons always ready at our behest to convince, corrupt or confuse

    To all the friends who befriended me or I ever made
    At work, the university, the neighbourhood or first grade
    Close or distant so many of you have had a role to play
    In shaping me into the person I am from the proverbial clay

    To those who really don’t fit the classical definition of a friend
    The ones that are always around to support with hand to lend
    The parents, siblings, the teachers at school and yes even bosses
    The hands of God, the guardian angels, the mystery sauces

    To those with whom I stayed the course and they’re but a few
    You have a big heart, I know what it takes for being there, for staying true
    Then there are those that distances and time pushed away
    Mere pauses in our friendship for whenever we meet we just press play

    To the handful and hopefully all of you know who you are
    My rocks of Gibraltars, my partners in crime, my guiding stars
    For a man of words I search for ones that’ll convey what I really want to say
    I live and breathe metaphorically and truly it’s because of you I’m here today
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    तू है…के नहीं?

    He and I. Used for Tu Hai Ke Nahin a poem by Sudham
    He and I
    आज एक याद फ़िर ताज़ा हो चली है
    संग वो अपने सौ बातें
    और हज़ार एहसास ले चली है
    
    तोड़ वक़्त के तैखाने की ज़ंजीरें
    खुली आँखों में टंग गयी
    बीते पलों में बसी तस्वीरें
    
    सुनाई साफ़ देती है हर बात
    अफ़सानों का ज़ायका
    और निखर गया है सालों के साथ
    
    दर्द और ख़ुशी का अजब ये मेल है
    संग हो तुम फिर भी नहीं हो
    बस यही क़िस्मत का खेल है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    फ़िलहाल

    Filhaal -Abstract  used for a poem of the same name by Sudham.
    कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है
     के ज़िंदगी के माइने बदल गए
     इतना बदला हुआ मेरा अक्स है
     लगता है जैसे आइने बदल गए
    
     अभी तो कारवाँ साथ था ज़िंदगी का
     जाने किस मोड़ रास्ते जुदा हो गए
     अब तो साथ है सिर्फ़ अपने साये का 
     जो थे सर पर कभी वो अचानक उठ गए
    
     यूँ लगता जैसे किसी नई दौड़ का हिस्सा हूँ
     किरदार कुछ नए कुछ जाने पहचाने रह गए
     शुरूवात वही पर अंत नहीं  एक नया सा क़िस्सा हूँ
     जोश भी है जुंबिश भी जाने क्यूँ मगर पैर थम गए
    
     एहसास एक भारी बोझ का है सर और काँधे पे भी
     पास दिखाई देते थे जो किनारे कभी वो छिप गए
     प्रबल धारा में अब नाव भी मैं हूँ और नाविक भी
     देखें अब आगे क्या हो अंजाम डूबे या तर गए
    
     इतने बदले हम से उसके अरमान हैं
     लगता है ज़िंदगी के पैमाने बदल गए
     कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है
     के ज़िंदगी के माइने बदल गए
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    मास्क पहन लो ना यार…

    Wear your mask!
    अब तो जवान और बच्चे भी होने लगे बीमार
    हद की भी हद हो गयी है पार

    किस बात का है तुमको इंतेज़ार
    मास्क पहन लो ना यार

    देश शहर क़स्बा मोहल्ला घर पे भी हुआ वार
    धज्जियाँ उड़ गयी, व्यवस्था पड़ी है तार तार

    छोड़ो क्यों ज़िद पे अड़े हो बेकार
    मास्क पहन लो ना यार

    उनसे पूछो जिनके अपने बह गए, तर न सके पार
    उठ गए सर से साये, बिखर गए कई घर बार

    क्यूँ आफ़त को दावत देते हो बार बार
    मास्क पहन लो ना यार

    मिलेंगे मौक़े आते जाते भी रहेंगे त्योहार
    ज़िंदगी रहेगी तो फिर मिलेंगी बहार

    बहस छोड़ो सड़क पे चलो या by car
    मास्क पहन लो ना यार

    खुद तुम मानो संग मनाओ तुम यार तीन चार
    अपने और अपनों के लिए करो ये आदत स्वीकार

    मान जाओ ना, हो जाओ तैयार
    मास्क पहन लो ना यार
  • English Poetry

    Drifting

    Sometimes you are struck
    By a feeling that overwhelms
    A strange discomforting sense
    Of a total lack of control
    You are drifting
    
    The waters are calm
    You sense no turbulence
    Just an inexplicable fear
    Uneasy and unware
    You are still but sinking
    
    You seek happiness
    Peace and joy
    A good life
    You try maintain pace
    The ground beneath is shifting
    
    Get a grip
    You coax yourself
    Draw deep for strength
    Look around for motivation
    Believe there’s a silver lining
    
    Winds change direction
    Things fall into place
    You get dealt a good hand
    Hmmm you wonder if
    The tide is turning
    
    Green shoots around you
    Blue skies on the horizon
    You are in a better place
    It’s a new view
    Life has a new meaning
    
    The low felt really low
    Took away all you had
    You were tough though
    Took a couple on the chin
    The real deal is not loosing
    
    The high it may not remain
    Troubles they may visit again
    But one thing is for sure
    It’s the tussle in between
    That makes life worth living
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ए ज़िन्दगी

    ज़िंदगी तुझ से न कम मिला न ही ज़्यादा पाया
    खुशियाँ मिली तो गमों का भी दौर आया
    मिली दीवाली सी रोशनी तो कभी दिया तले अंधेरा पाया
    तूने जब दी तनहाई मुड़ के देखा तो साथ कारवाँ पाया
    क्यों करें शोक हम तेरी किसी बात का
    क्यों ज़ाया करें अभी तुझ पे जस्बात
    तू जो भी दे मज़ा तो हम पूरा लूटेंगे
    गिरें गर कभी तो फिर उठ खड़े होंगे
    इंतेज़ार है उस दिंन का जब होंगे तेरे सामने
    तेरी हर एक देन को "once more" कहेंगे
    तब तक किसी चीज़ से शिकवा है न किसी से मलाल
    तू जो भी दे मंज़ूर है गवारा है हर हाल
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    फुर्सत

    ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है
    क्यों हर कोई यह कहता के उसको बहुत काम है
    
    इस तेज़ दौड़ती, बटे लम्हों में कटती ज़िन्दगी का, चलना ही क्यों नाम है
    कैसे रूकें, कब थामें, एक पल को भी न आराम है
    
    कब घिरे कब छटे ये बादल, आये गए जो मौसम सारे न किसी को सुध न ध्यान है
    पलक झपकते बोले और चले जो, अपना खून खुद से अनजान है
    
    ये फुर्सत क्यों बेवजह बदनाम है
    बस यही तो है जो अनमोल हो कर भी बेदाम है