फ़िलहाल
कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए इतना बदला हुआ मेरा अक्स है लगता है जैसे आइने बदल गए अभी तो कारवाँ साथ था ज़िंदगी का जाने किस मोड़ रास्ते जुदा हो गए अब तो साथ है सिर्फ़ अपने साये का जो थे सर पर कभी वो अचानक उठ गए यूँ लगता जैसे किसी नई दौड़ का हिस्सा हूँ किरदार कुछ नए कुछ जाने पहचाने रह गए शुरूवात वही पर अंत नहीं एक नया सा क़िस्सा हूँ जोश भी है जुंबिश भी जाने क्यूँ मगर पैर थम गए एहसास एक भारी बोझ का है सर और काँधे पे भी पास दिखाई देते थे जो किनारे कभी वो छिप गए प्रबल धारा में अब नाव भी मैं हूँ और नाविक भी देखें अब आगे क्या हो अंजाम डूबे या तर गए इतने बदले हम से उसके अरमान हैं लगता है ज़िंदगी के पैमाने बदल गए कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है के ज़िंदगी के माइने बदल गए
आज… कल…
मेरा आज जाने क्यों मेरे कल से रूठा है पल पल कुढ़ता है उसे सोच के जो बीता है नाराज़गी इस क़दर है की कहता है कल झूठा है कैसे बतलाऊँ की हर आज बीते कल में भी जीता है सपने तो बहुत देखें थे आज के लिए मेरे कल ने अरमान भी बड़े बड़े सजाए थे मुस्तकबिल के कितनी शिद्दत भरी थी कल की हर एक दुआ में महनत भी शामिल थी जिसके की कल काबिल थे पर मेरे आज को तो अपनी हक़ीक़त से मतलब है जो सच हुआ, हो पाया, बस वही तो आज और अब है हसरतें लेकिन मेरे आज की भी कम नहीं, बहुत हैं कुछ ज़्यादा, कुछ बेहतर, कुछ बढ़कर मेरे आज की तलब है क्यों मेरा आज बीते अपने ही कल को नहीं पहचानता क्यों वो अपना समझ के मेरे कल का हाथ नहीं थामता आनेवाली सुबह में खुद गुल हो जाएगा क्यों नहीं मानता वो भी किसी आज का कल होगा क्या ये नहीं जानता भला सोचो सब जान के भी यूँ अनजान बना क्यों मेरा आज पड़ा है किस लिए आज ज़िद्द पकड़े अपनी बात पे ही ऐसे अड़ा है पहला तो नहीं है शायद मेरा ये आज जो अपने कल से लड़ा है एक बीत गया, एक आया नहीं, बस यही आज है जो वास्तव में खड़ा है
अक्स
याद है क्या तुमको वो ज़माना College के lecture में न जाना बना के कोई भी अजीब सा बहाना नज़दीक के cinema पे overtime लगाना कितनी बेफ़िक्री से जिया करते थे हम यारी दोस्ती इश्क़ मोहब्बत का भरते थे दम उम्मीदें थी मुस्तकबिल से और माज़ी से गिले कम मज़बूती से पड़ा करते थे ज़मीन पे कदम चलो उसी भूले खोए खुद को ढूँदतें हैं एक साँस इस दौड़ती ज़िंदगी को रोक के लेतें हैं अपने जवान अक्स को एक मौक़ा और देतें हैं आने वाले हर लम्हे से ख़ुशी को घोट के पीतें हैं
Man in the Mirror
I look in the mirror and try to place the face I see Is this the man that ten year old wanted to be Years have passed, time enough to have all the boxes ticked I remember the ten year old had a list The face in mirror has a dismissive look I gave it a shot and all that it took I did some of that and even more This ship has sailed now to many a shore I sense your pride said the boy You have the riches but where's the joy Happiness now is a mere pretence Blissful seems a life of ignorance You will learn in time about the rat race Have to give up a lot to find your place Gave up a dream or may be two What could've been no time to rue One last thing the boy said What I see now I don't look forward to When I am older I won't be you With those words the mirror cracked Suddenly I had a hundred me s Not one of them who I wanted to be I don't remember when or where the boy got lost I have to find him at any cost