• Hindi Poetry | कविताएँ

    पहल

    खुद से कुछ कम नाराज़ रहने लगा हूँ
     
    ऐब तो खूब गिन चुका
    खूबियाँ अपनी अब गिनने लगा हूँ मैं
     
    आजकल एक नयी सी धुन में लगा हूँ
    अपने ख्यालों को अल्फाजों में बुनने लगा हूँ मैं
     
    गैरों के नगमे गुनगुनाना छोड़ रहा हूँ
    अब बस अपने ही गीत लिखने चला हूँ मैं
    कुछ अपने से रंग तस्वीर में भरने लगा हूँ
    आम से अलग एक पहचान बनाने चला हूँ मैं
     
    अंजाम से बेफिक्र एक पहल करने चला हूँ
    अपने अन्दर की आवाज़ को ही अपना खुदा मानने लगा हूँ मैं
     
    खुद से कुछ कम नाराज़ रहने लगा हूँ
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    परिचय

    आज धूल चटी किताबों के बीच
     ज़िन्दगी का एक भूला पन्ना मिल गया
     धुँधले से लफ़्ज़ों के बीच
     पहचाना सा एक चहरा खिल गया
     अलफ़ाज़ पुराने यकायक जाग उठे
     मानो सार नया  कोई मिल गया
     दो पंक्तियों के चंद लमहों में
     एक पूरा का पूरा युग बीत गया
     आज धूल चटी किताबों के बीच
     मुझ को मैं ही मिल गया
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बटवारा

    मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है 
     सैंतालीस में मुद्दा ज़मीन थी 
     आज कल जंग है यकीन की 
     इक अंधा सा जोश सर पानी हो चला है
     
     आज की अदालत प्रचार माध्यम हैं 
     जूरी जन्ता और हर घर अदालत है 
     अपने यकीं को लिए हर शक़्स 
     कटघरे के दोनों तरफ खड़ा है
     
     आज़ादी बोलने की पुरज़ोर आज़मातें हैं 
     शब्दों के वार का अजब सिलसिला है 
     बोल-चाल में सब्र कहीं ग़ुम हो गया है 
     दो बाटन के बीच मेरा मुल्क पिस रहा है 
    
     ख़ेमे बटे हुए हैं रंगों के चहुँ ओर 
     कहीं भगुआ तो कहीं हरे की लग रही है होड़ 
    बिना मंज़िल की लगी दौड़ है 
     मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    नया साल

    कल की बीती को भुला दो
     अपने रूठों को आज मना लो
     इस बरस दिन तो फिर उतने ही होंगे
     मौक़े शायद फिर उतने न और मिलेंगे
     चलेगा जब नया साल
     दिन हफ़्ते महीनों की चाल
     कुछ पहचाने तो नए कुछ मिलेंगे रिश्तों के रास्ते
     लय होगी उनकी कभी मद्धम कभी तेज़ कभी आहिस्ते
     ये गोला तो सूरज की परिक्रमा फिर करेगा
     सर्द गरम और वर्षा का दौर यूँ चिरकाल चलेगा
     हर बदलता साल अपने संग रिश्तों का जश्न है लाता
     बिन साथियों के मने तो कहाँ कोई मज़ा है आता
     अनमोल हैं रिश्ते बस उन्ही को रखना है सम्भाल के
     कौन जाने साथ कितनों का और कितना और मिलेगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    मौक़ा

    क्यों परेशान से दिखते हैं लोग हर तरफ़
     आख़िर है क्या इस बेचैनी का सबब
     इतनी दुनिया में दुनिया से नाराज़गी क्यों है भला
     छोटी छोटी बातों पे क्यों ख़ून उबलने है चला
     तेरे मेरे का फ़ासला तो पहले भी कम न था
     मगर इतनी नफ़रत ऐसा रंज-ओ-ग़म न था
     कुछ तो होगा इलाज कोई तो होगी दवा
     मिल के फूकेंगे तो शायद चलेगी बदलेगी हवा
     कहाँ इतिहास में सियासतदारों ने अमन की राह चुनी है
     एहतराम और मोहब्बत के धागों ने इस देश की चादर बुनी है
     निकलेगी आवाम घर से तो कुछ तो हालात बदल पायेंगे
     वरना यूँ बोलते बोलते तो फिर से पाँच साल बीत जायेंगे
  • English Poetry

    The Tempest

    I wake up to a beautiful dawn
     The birds are chirping signaling morn
     The wispy clouds floating in the sky
     Give no clues of the night that went by
     Innocuously they had gathered
     Getting darker by the day
     The quiet before passed unnoticed
     Before long it started to pour
     The winds roared and howled all night
     As the clouds spat venom with all their might
     Trees uprooted the rivers broke bank
     Entire settlements without trace they sank
     Oh! What a tumult it caused
     The destruction that it left in its wake
     The tempest has now blown over
     It's time to pick up the pieces
     And salvage what you can
     Rebuild things make them better
     This time stronger than when we began
     Got to keep moving forward
     Ups and downs are all part of the big plan
     The choice is ours and so is the lesson to learn
     We can keep looking at the strewn leaves
     Or decide on which leaf to turn
  • English Poetry

    Give Change a Chance

    The first drops of rain
     May never assure a season of plenty
     Scant as they maybe 
     They most always give new life a chance
     Who ever knew what a new day can bring
     
     Strange how hope transcends
     The inevitability of the darkness to follow
     
     Why then do we dread
     That which we do not know
     Who knows an honest attempt
     May ring flowery promises hollow
     
     Hit a fresh note, strike a different key
     Swing to the rhythm of a brand new beat
     Even two steps forward and one step back
     When taken together can form a dance
     
    Go on give change a chance!