Life
Sometimes when it rains, it pours
Sometimes it leaves you wanting for more
Sometimes there’s happiness right outside your door
Sometimes you have the key, but just aren’t sure
Sometimes you know what life has in store
Sometimes you’re just drifting washing up ashore
Sometimes life’s oozing through every pore
Sometimes just breathing is a chore
Sometimes you’re winning, not keeping score
Sometimes you’re knocked out, down on the floor
Sometimes you’re on a high, not really you anymore
Sometimes the mirror shows the real you, flaws galore
Sometimes you’re in the spotlight the crowd chanting encore
Sometimes the joke is on you, your ego bruised, battered, and sore
Sometimes it’s déjà vu, you’ve seen it before
Sometimes you’re eager, just itching to explore
Sometimes….
Just sometimesI am YOU!
Perhaps it’s always been the case But I have begun to feel it more these days In important and in those little things In familiar yet in undescribable ways I notice it in the way I speak Even in the way I react to what I eat It manifests in my constant worry I have changed for sure and it’s bittersweet Each day I look in the mirror the feeling grows It causes me to miss you more and then not to There are no two ways about it, I am sure I was “me” now I am “you”
Time to Fly
Some pages in the book of life are best unread No point looking back nor consider retreat Got to find a raindrop that patters to your beat There is a cloud that has your silver line There're shells at a beach for you to find Spaces for you to venture into Challenges waiting for you to try Dreams waiting to come alive Go on! Turn the page Life's waiting to be lived It's not just spreading your wings But courage that makes you fly
An Ode… To Those Who Believed
It's not easy to walk a different path To set off on a journey where questions abound The doubts they flourish when you are stepping onto roads That are foreseeably bumpy, uncharted, even inexistent Risking it all doesn’t mean absence of fear The clock is your enemy and the mirror isn’t your friend When you have only yourself to blame and to rely When there are no maps or guiding stars in the sky Tis the believers who hold the torch For the explorers on their onward march No birds ever flew without the wind beneath their wings It is their belief that fuels the hope each passing day brings
चौथ का चाँद
एक ऐसी ही चौथ की रात थी जब एक चाँद बादलों में छिप गया फिर लौट के वो दिन आ गया एक चौथ फिर से आ गयी फिर आँखें यूँ ही नम होंगी यादें फिर क़ाबू को तोड़ेंगी वक़्त थमता नहीं किसी के जाने से फिर भी कुछ लम्हे वहीं ठहर जातें हैं लाख़ आंसुओं के बह जाने पर भी कुछ मंज़र आँखों का घर बना लेते हैं यक़ीन बस यही है के एक दिन समय संग पीड़ ये भी कम होगी फ़िलहाल नैन ये भीगे विचरते हैं एक झपक में एक बरस यूँ बीत गया किसी दिवाली दीप फिर जलेंगे उन दियों में रोशन फिर ख़ुशियाँ होंगी छटेंगे बादल चाँद निकलेगा जब इंतेज़ार अब उस चौथ का है
मास्क पहन लो ना यार…
अब तो जवान और बच्चे भी होने लगे बीमार
हद की भी हद हो गयी है पार
किस बात का है तुमको इंतेज़ार
मास्क पहन लो ना यार
देश शहर क़स्बा मोहल्ला घर पे भी हुआ वार
धज्जियाँ उड़ गयी, व्यवस्था पड़ी है तार तार
छोड़ो क्यों ज़िद पे अड़े हो बेकार
मास्क पहन लो ना यार
उनसे पूछो जिनके अपने बह गए, तर न सके पार
उठ गए सर से साये, बिखर गए कई घर बार
क्यूँ आफ़त को दावत देते हो बार बार
मास्क पहन लो ना यार
मिलेंगे मौक़े आते जाते भी रहेंगे त्योहार
ज़िंदगी रहेगी तो फिर मिलेंगी बहार
बहस छोड़ो सड़क पे चलो या by car
मास्क पहन लो ना यार
खुद तुम मानो संग मनाओ तुम यार तीन चार
अपने और अपनों के लिए करो ये आदत स्वीकार
मान जाओ ना, हो जाओ तैयार
मास्क पहन लो ना यारभारत गणतंत्र
मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है देश की हवाएं कुछ बदली सी हैं कभी गर्म कभी सर्द तो कभी सहमी सी हैं यूँ तो विश्व व्यवस्था में छोटी पर मेरा भारत जगमगा रहा है पर कहीं न कहीं सबका साथ सबका विकास के पथ पर डगमगा रहा है स्वेछा से खान पान और मनोरंजन का अधिकार कहीं ग़ुम हो गया है अब तो बच्चों का पाठशाला आना जाना भी खतरों से भरा है सहनशीलता मात्र एक विचार और चर्चा का विषय बन चला है गल्ली नुक्कड़ पर आज राष्ट्रवाद एक झंडे के नाम पर बिक रहा है क्या मुठ्ठी भर लोगों की ज़िद को लिए मेरा देश अड़ा है क्यों हो की एक भी नागरिक आज इस गणतंत्र में लाचार खड़ा है मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है
ये जो देश है मेरा…
कोई अच्छी खबर सुने तो मानो मुद्दत गुज़र गयी है लगता है सुर्खियां सुनाने वालों की तबियत कुछ बदल गयी है वहशियों और बुद्धीजीवियों में आजकल कुछ फरक दिखाई नहीं देता कोई इज़्ज़त लूट रहा है तो कोई इज़्ज़त लौटा रहा है बेवकूफियों को अनदेखा करने का रिवाज़ नामालूम कहाँ चला गया आलम ये है के समझदारों के घरों में बेवकूफों के नाम के क़सीदे पढ़े जा रहे हैं तालाब को गन्दा करने वाले लोग चंद ही हुआ करते हैं भले-बुरे, ज़रूरी और फज़ूल की समझ रखनेवाले को ही अकल्मन्द कहा करते हैं मौके के तवे पर खूब रोटियां सेंकी जा रहीं हैं कल के मशहूरों के अचानक उसूल जाग उठें हैं देश किसका है और किसका ख़ुदा ईमान और वतनपरस्ती के आज लोग पैमाने जाँच रहे हैं मैं तो अधना सा कवि हूँ बात मुझे सिर्फ इतनी सी कहनी है क्यों न कागज़ पे उतारें लफ़्ज़ों में बहाएँ सियाही जितनी भी बहानी है फर्क जितने हों चाहे जम्हूरियत को हम पहले रखें आवाम की ताक़त पे भरोसा कायम रखें किये का सिला आज नहीं तो कल सब को मिलेगा सम्मान लौटाने से रोटी कपडा या माकन किसी को न मिलेगा
ड़ोर
उम्मीद की इक ड़ोर बांधे एक पतंग उड़ चली है कहते हैं लोग के अब की बार बदलाव की गर्म हवाएं पुरजोर चलीं हैं झूठ और हकीक़त का फैसला करने की तबीयत तो हर किसी में है कौन सच का है कातिल न-मालूम मुनसिब तो यहाँ सभी हैं सुर्र्खियों के पीछे भी एक नज़र लाज़िमी है गौर करें तो ड़ोर की दूसरी ओर हम सभी हैं अपने मुकद्दर के मालिक हम खुदी हैं
The Semal and The Storks
Each year come the Ides of March The Red Silk Cotton starts to bloom ‘Tis then that the waiting starts For the winged guests to arrive Somehow this cycle of nature Hast created for me a sense of normal Indicators that all’s well in the world The flocking birds and the blooming Semal This year too there was the anxious wait I wondered if, for the tree had bloomed late Woke up this morning and the cynic had died The flocking birds brought my hope alive