• English Poetry

    The Rise

    Cast upon me your heart’s fill
    As many of those sly, questioning glances
    Delight if you please at my tumble and fall
    Engineer more such circumstances

    Go ahead! Throw at me all you will
    Vent that angst, do me wrong
    I will turn up for every fight you call
    Each punch you throw only makes me strong

    I shall find strength in the venom you spew
    For every devious plan that you devise
    It’ll only reaffirm and renew my resolve
    I will get up, I will come back, I shall rise

    My belief in my values shall always hold true
    With conviction I will continue to brave every adverse tide
    Each challenge shall build a better me, I shall evolve
    Shaping my future, the past and present in my stride
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Humsafar(हम)सफर

    मीलों का ये सफ़र है
    तेरे संग जो है तय करना
    एक नहीं कई मंज़िलें हैं
    तेरे साथ जिनको है पाना


    मिलेंगे राहगुज़ार और भी हमें
    कुछ मिलनसार कुछ बदमिज़ाज होंगे
    कोई उकसायेगा कोई भटकायेगा हमें
    जूझेंगे उनसे और हर सितम झेल लेंगे


    मुश्किलें भी कई पेश आयेंगी
    हालात हमारे ख़िलाफ़ होंगे
    कुछ पल को राहें भी जुदा लगेंगी
    मगर एक दूसरे को हम सँभाल लेंगे


    सात कदम, सात जन्म, सात समंदर
    मेरी नज़र में हर दूरी तेरी सोहबत में कम है
    तू जहाँ वहीं चैन वहीं सुकून है दिल के अंदर
    मोहब्बत और दोस्ती पाने नहीं निभाने का नाम है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दंगल

    वाक़िफ हैं तेरे हथकंडो से ए ज़िंदगी
    फ़िर भी उलझन पैदा कर ही देती हो
    लाख़ जतन सम्भालने के करते हैं मगर
    बख़ूब धोबी पच्छाड़ लगा पटक ही देती हो 
    
    थेथर मगर हम भी कम कहाँ
    दंगल में तेरी उठ के फ़िर कूद जातें हैं
    थके पिटे कितने ही हो भला
    ख़ुद पे एक बार और दाव लगाते हैं
    
    तुम्हारे अखाड़े की लगी मिट्टी नहीं छूटती
    बहुत चाट ली ज़मीन की धूल गिर गिर कर
    ये विजय नहीं स्वाभिमान की ज़िद्द है जो लक्ष्य नहीं चूकती
    अब निकलेंगे अपनी पीठ पे या बाज़ी जीत कर
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    निश्चय

    दूर भले ही हो मंज़िल
     कदम कदम बढ़ाना है
     पथ में थक जाए जो साथी
     हर दम साथ निभाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
     
    तूफ़ान भले ही हो प्रबल
     हमको तो दीप जलाना है
     उम्मीद से है हर दिल रोशन
     हमें ज्योत से ज्योत जगाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
    
     कठिनाई चाहे हो अनेक
     जूझ के उन्हें हटाना है
     बादल चाहे हो घने
     बरस के तो छट जाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
    
     थकना नहीं है रुकना नहीं है
     सपनों को सच कर के दिखाना है
     ख़ुशियों से भरा होगा हर घर
     भारत ने अब यही ठाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है