Humare Ram (हमारे राम)
श्री राम कहो, रामचंद्र कहो कोई भजे सियाराम है कोई कहे पुरुषोत्तम उनको मानो तो स्वयं नारायण है कुछ तो बात होगी ही न उनमें की राम भावना युगों से प्रचलित है सहस्रों हैं वर्णन उनके, सैंकड़ो हैं गाथाएँ जो राम हैं हमारे वह तो हर कण में रमित हैं आज सज रहा शहर मोहल्ला सजी सजी हर गली भी है लहरा रही हनुमान पताका श्री राम लहर जो चली है जलेंगे आज दीप घर घर में पौष में मन रही दिवाली है प्रस्थापित होंगे राम लल्ला अवध में हर मन प्रफुल्लित और आभारी है पुनः निर्मित हो रहा है जो केवल मंदिर नहीं स्वाभिमान है यह किसी धर्म संप्रदाय की विजय नहीं धरोहर हैं हम जिसकी उस सभ्यता का उत्थान है हो सम्मान जहाँ हर नर का सम्मानित जहाँ हर नारी है प्रेरित हो जो राम राज्य से उस भारत की रचना ज़िम्मेदारी है राम आस्था राम विश्वास राम जीवन की सीख हैं राम रामत्व रम्य रमणीय राम इस संस्कृति के प्रतीक हैं कोई कहे पुरुषोत्तम उनको मानो तो स्वयं नारायण है श्री राम कहो, रामचंद्र कहो कोई भजे सियाराम है
Shunya (शून्य)
शून्य से जन्मा हूँ मैं और शून्य में मिल जाऊँगा इस मेल के अंतराल में जीवन काल मैं बिताऊँगा अल्प है किंतु ये पूर्ण ये विराम नहीं आज के गगन का अस्त सूर्य ये हुआ नहीं मात्र कुछ शब्द कह वाणी ये न थम पाएगी पंक्तियाँ इस वाक्य की महाकाव्य ही रच जायेंगी स्वयं है लिखि जा रही हस्त की ये रेखा नहीं सीख ली है हर उस बाण से जिसने लक्ष्य भेदा नहीं कर्म मैं अपना करूँ आगे बढ़ता जाऊँगा भाग्य की धरती से मैं फल नहीं उपजाऊँगा पाया जो पितृ-तात् से दंभ उसका किंचित् भी नहीं आशंका मात्र इतनी है वृद्धि उसमें कर पाऊँ कि नहीं नयनों को विश्वास है स्वप्न सच हो जाएँगे कष्ट करने वालों को कृष्ण मिल ही जाएँगे पथ पे चल पड़ा हूँ जिस आपदा का अब भय नहीं न मिले या मिलतीं रहें उपलब्धियाँ मेरा अस्तित्व नहीं शून्य हूँ मैं और शून्य में मिल जाऊँगा अंत की अग्नि में जल कल राख़ मैं बन जाऊँगा
तक़दीर
एक दिन तक़दीर रुबरू हुई
पूछने लगी कैसे हैं हाल
जवाब में खुद ही बोली
मैं तुम्हारी हूँ यही है कमाल
फिर बीते कुछ और दिन महीने साल
ज़िंदगी की किताब में बाब जुड़ते गए
होने लगा कुछ और यक़ीन उस मुलाक़ात पे
दौर कुछ और कुछ हसीं कुछ तंग गए
बस वो दिन था और एक आज है
हर गुज़रे पल की एहमियत पहचानते हैं
मिली थी जो उस दिन यकायक हमें
वो तक़दीर तुम हो बस ये जानते हैं
तुम ख़ुश रहो ख़ुशहाल रहो
हर दिन ये दुआ माँगते हैं
तुम्हारी हर ख़ुशी में है हमारी ख़ुशी
उस रोज़ से हम यही मानते हैंI Believe
Sunlight streams through my window But fails to lighten up my dark corners The corners of my vacant heart Life just passed me by While I sat making other plans A long winding highway with pain at every bend A journey spent in waiting for the next milestone Just tunnels without any light at the end Good things come to those who wait they say How much longer? How much further? No stopovers, no goodbyes No fleeting moments stolen from life Lifes just a one way track headed nowhere Hope is the fuel I run on And I still wait because I believe Yes, I believe
Time to Fly
Some pages in the book of life are best unread No point looking back nor consider retreat Got to find a raindrop that patters to your beat There is a cloud that has your silver line There're shells at a beach for you to find Spaces for you to venture into Challenges waiting for you to try Dreams waiting to come alive Go on! Turn the page Life's waiting to be lived It's not just spreading your wings But courage that makes you fly
An Ode… To Those Who Believed
It's not easy to walk a different path To set off on a journey where questions abound The doubts they flourish when you are stepping onto roads That are foreseeably bumpy, uncharted, even inexistent Risking it all doesn’t mean absence of fear The clock is your enemy and the mirror isn’t your friend When you have only yourself to blame and to rely When there are no maps or guiding stars in the sky Tis the believers who hold the torch For the explorers on their onward march No birds ever flew without the wind beneath their wings It is their belief that fuels the hope each passing day brings