• Hindi Poetry | कविताएँ

    बदलते रिश्ते

    नाज़ुक होतें हैं ये
     सम्हाल कर इन्हें रखिएगा
     रेशम की डोरियाँ हैं ये
     गर तन जायें तो ज़ख़्म ही पाइएगा
    
     क्यों कर उलझते हैं रिश्ते
     सर्द शीशे से चटक जातें हैं रिश्ते
     जाने कब और कैसे बिखर जातें हैं
     यकायक अपने बेपरवाह हो जातें हैं
    
     कब बचा है कोई इस रंज-ओ-ग़म से 
     किसे मिलती है दवा जियें जिस के दम पे 
     यारी दोस्ती प्यार वफ़ा सब बेमानी है 
     बिगड़ी भली जैसी हो बस चलानी है
    
     गाँठ पड़ी डोर तो कमज़ोर हो ही जाती है 
     जुड़े आइने में दरार फिर भी नज़र आती है
     नाते रिश्तों की तो बस यही कहानी है 
     जो हाथ लगा वो मिट्टी जो बह गया सो पानी है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    निश्चय

    दूर भले ही हो मंज़िल
     कदम कदम बढ़ाना है
     पथ में थक जाए जो साथी
     हर दम साथ निभाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
     
    तूफ़ान भले ही हो प्रबल
     हमको तो दीप जलाना है
     उम्मीद से है हर दिल रोशन
     हमें ज्योत से ज्योत जगाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
    
     कठिनाई चाहे हो अनेक
     जूझ के उन्हें हटाना है
     बादल चाहे हो घने
     बरस के तो छट जाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
    
     थकना नहीं है रुकना नहीं है
     सपनों को सच कर के दिखाना है
     ख़ुशियों से भरा होगा हर घर
     भारत ने अब यही ठाना है
    
     मिलजुल के चलेंगे हम
     हमें अपना कल आज बनाना है
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    यक़ीन-ए-इश्क़

    भुला पाओगे नहीं ये यक़ीन है मेरा 
     जाओ फिर भी तुम्हें ये मौक़ा दिया
     कहाँ पाओगे ऐसा जैसा प्यार मेरा
     लो ये भी दुआ दे आज़ाद किया
    
     नहीं देंगे तुझे आवाज़ फिर 
     न देखेंगे कभी फिर कूचा तेरा 
     भुला देंगे सब कुछ तेरे ख़ातिर
     न याद कराएंगे कोई वादा तेरा
    
     दूर कहीं जा कर दुनिया से मेरी 
     नया अपना जहाँ बसा लेना 
     भूले से महक न आए मेरी 
     काग़ज़ के फ़ूल सजा लेना 
    
     गर याद फिर भी आए जो मेरी 
     आँखें अपनी बंद कर लेना 
     दिल तोड़ेंगे तेरा ख़्यालों में तेरी
     तुम बेवफ़ा मुझे फिर कह देना 
    
     ये इल्ज़ाम भी अपने सर ले लेंगे
     बस तुम अपना सब्र रख लेना 
     इश्क़ किया था माफ़ भी कर देंगे
     बस एक फ़ूल मेरी कब्र पर रख देना 
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दोस्ती की expiry date

    क्या दोस्ती की भी expiry date होती है 
     या उम्र भर साथ की guarantee होती है
    
     कल की नोंक झोंक आज जाने क्यों दिल दुखाने लगती है 
     अचानक कोई भूली बात जबरन आ आ के सताने लगती है
     
    ना मालूम क्यों उम्मीदों का traffic one way हो जाता है 
     कभी हँसते थे संग जिसके वो क्यों रूला रूला के जाता है
     
    जो चैन देता था कल आज वही चुराता है 
     शायद हर दोस्ती में ये दौर भी आता है
    
    ख़िज़ा की रुत होगी ये कभी न कभी तो बदल जानी है 
     बहार जब तलक फिर न आए तब तक हर हाल निभानी है
     
    कहाँ दोस्ती की कोई expiry date होती है 
     यहाँ तो उम्र भर साथ की guarantee होती है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बटवारा

    मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है 
     सैंतालीस में मुद्दा ज़मीन थी 
     आज कल जंग है यकीन की 
     इक अंधा सा जोश सर पानी हो चला है
     
     आज की अदालत प्रचार माध्यम हैं 
     जूरी जन्ता और हर घर अदालत है 
     अपने यकीं को लिए हर शक़्स 
     कटघरे के दोनों तरफ खड़ा है
     
     आज़ादी बोलने की पुरज़ोर आज़मातें हैं 
     शब्दों के वार का अजब सिलसिला है 
     बोल-चाल में सब्र कहीं ग़ुम हो गया है 
     दो बाटन के बीच मेरा मुल्क पिस रहा है 
    
     ख़ेमे बटे हुए हैं रंगों के चहुँ ओर 
     कहीं भगुआ तो कहीं हरे की लग रही है होड़ 
    बिना मंज़िल की लगी दौड़ है 
     मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    धुन

    अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
     सुर उसके सासों से सजते हैं
     और देती धड़कनें ताल हैं
    
     दबी हुई थी कहीं वो सालों से
     जाने किस पल के इंतेज़ार में
    
     ख़ुद से ख़ुद बेख़बर हो के 
     मानो कुछ ढूँड़ रही थी फ़िलहाल में
    
     एकाएक दिल के ढोल जब बजने लगे
     सहमे सुस्त पड़े पैर थिरकने लगे
    
     होंठ बजाने लगे जब यूँ ही सीटियाँ
     हाथ दोनों जब स्वयं लगे देने तालियाँ
    
     लय बन लहर दौड़ गई है जो 
     जीवन को जीवन्त कर रही है वो
    
     हर तान से एक नई तरंग जो उठती है 
     इश्क़ नाम है धुन का - वही ज़िंदगी है
    
     अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    चलो… (कुछ करते हैं)

    चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं
     कुछ पुरानी बातें कुछ रूमानी संग
     भरते हैं बादलों में अपने रंग 
     भूली यादों की लड़ी पिरोते हैं
    
     याद है जब चौक पे गाड़ी रोक के 
     कभी नयी कभी अध जली सिगरेट जलाते थे 
     फटे स्पीकरों से ऊँची आवाज़ में गीत गाते थे 
     दोस्ती की क़समें खाते थे सीना ठोक के
    
     एक बार तो छोड़ भी आया था ना बीच राह में 
     बनाया था कुछ अजीब सा ही बहाना
     ख़ूब हुई मिन्नतें चला था रूठना मनाना
     शब गुज़ारते हैं ऐसी ही किसी क़िस्से की बात में
    
     चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं
     कुछ अलग बातें कुछ बदले ढंग
     उड़ाते है क़िस्सों की नयी पतंग 
     किसी की याद में एक ताज़ा याद बनाते हैं
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    सपना

    Building a dream!
    चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     ख़्वाबों के हसीन जहाँ के
     कुछ रंग तुम चुनो
     और कुछ मैं चुनूँ
     आसमान में रंग भरतें हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     छोटे से इक घोंसले के
     कुछ तिनके तुम जोड़ो
     और कुछ मैं जोड़ूँ
     आशियाँ अपना पिरोते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     प्यार भरे दिल की
     एक धड़कन तुम बनो
     एक धड़कन मैं बनूँ
     जीवन ताल बनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     अपने प्रेम गीत के
     कुछ बोल तुम लिखो
     कुछ बोल मैं लिखूँ
     धुन नयी चुनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दुआ

    मैं जानता हूँ डर है तुमको
     ये रास्ते हमारे ना हो जायें जुदा
     रूठूँ कभी मैं या तू नाराज़ हो
     यारी ये गहरी रहेगी सदा
     तुझसे नहीं कोई शिकवा मुझे
     ना मेरे से है तुझको गिला
     टकराव होते विचारों के हैं
     कहे तू बुरा या कहूँ मैं भला
     चाहूँगा हर दम ये तेरे लिए
     जीवन में राहें सही तू चुने
     ख़ुश तू रहे हो तू आबाद
     दुआ है मेरी तू बरसों जिए
    
    	
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    नया साल

    कल की बीती को भुला दो
     अपने रूठों को आज मना लो
     इस बरस दिन तो फिर उतने ही होंगे
     मौक़े शायद फिर उतने न और मिलेंगे
     चलेगा जब नया साल
     दिन हफ़्ते महीनों की चाल
     कुछ पहचाने तो नए कुछ मिलेंगे रिश्तों के रास्ते
     लय होगी उनकी कभी मद्धम कभी तेज़ कभी आहिस्ते
     ये गोला तो सूरज की परिक्रमा फिर करेगा
     सर्द गरम और वर्षा का दौर यूँ चिरकाल चलेगा
     हर बदलता साल अपने संग रिश्तों का जश्न है लाता
     बिन साथियों के मने तो कहाँ कोई मज़ा है आता
     अनमोल हैं रिश्ते बस उन्ही को रखना है सम्भाल के
     कौन जाने साथ कितनों का और कितना और मिलेगा