• Hindi Poetry | कविताएँ

    रंग

    इस रंग बदलती दुनिया से
    हमने भी थोड़ा सीख लिया
    कुछ दुनिया से  हमने रंग लिया
    और खुद को थोडा बदल लिया
     
    कभी किस्मत ने हमको गिरा दिया
    तो कभी वक़्त ने हमें सता दिया
    सब सोचें हमको क्या मिला
    हम सोचें कितना जान लिया
    जाने पहचाने चेहरों को
    भीतर से पढना सीख लिया
    सच और झूठ के फेरों में
    काले को कोरा कहना सीख लिया
     
    कुछ खुद को थोडा बदल लिया
    कुछ दुनिया को हमने रंग दिया
     
    इस रंग बदलती दुनिया से
    हमने भी थोड़ा सीख लिया
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    तुझे उड़ना है

    तुझे उड़ना है
    
    इस लिए नहीं
    कि तुझे पँख मिलें हैं
    
    तुझे उड़ना है
    
    इस लिए
    कि तेरे दिल में अरमान हैं
    
    तुझे उड़ना है
    
    इस लिए नहीं
    कि तुझे हौंसले मिलें हैं
    
    तुझे उड़ना है
    
    इस लिए
    कि ऊपर खुला आसमान है
    
    तुझे बढ़ना है
    
    इस लिए नहीं
    कि राहें मिलीं हैं
    
    तुझे बढ़ना है
    
    इस लिए
    कि मंज़िलें तेरी पहचान हैं
    
    तुझे बढ़ना है
    
    इस लिए नहीं
    कि साथी मिलें हैं
    
    तुझे बढ़ना है
    
    इस लिए
    कि तू खुद में एक कारवाँ है
    
    तुझे फलना है
    
    इस लिए नहीं
    कि तुझमें मातृत्व है
    
    तुझे फलना है
    
    इस लिए
    कि तू ही जीवन वरदान है
    
    तुझे फलना है
    
    इस लिए नहीं
    कि आज तुम्हारा है
    
    तुझे फलना है
    
    इस लिए
    कि तू है तो कल ये जहान है
    
    हाँ तुझे फलना है
    
    हाँ तुझे बढ़ना है
    
    हाँ तुझे उड़ना है
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    यादें

    कुछ  यादें  एक  खलिश  सी  होती  हैं 
    बरसों  दिल  में  सुलघ्ती  रहतीं   हैं
    दबती  छुपती  तो  हैं  मगर  दहकती  रहतीं  हैं
    बीतते  सालों  का  मरहम  पा  के  भी  दर्द  देती  हैं 
     
    गुज़रा  वक़्त  सब  कुछ  भुला  नहीं  देता 
    मन  में  बसा  चेहरा  धुन्दला  नहीं  देता
    तेरी  मुस्कान  दिल   में  अभी  भी  गूंजती  हैं
    ये पलकें  आज  भी  तुम  को  ढूँढती  हैं
    तुम्हे  याद  कर  यह  आँखें  दो  बूँद  और  रो  देती  है
     
    नहीं  लिखा  था  शायद  साथ   तुम्हारा 
    होगी किसी  खुदा  की मर्ज़ी  पर  हमें  नहीं  है  गवारा 
    गलती  तो  खुदा  से  भी  होती है
    यादें  आ  आ  कर  बस  येही  सदा  देती  हैं
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बादल

    गुमनाम बिन पहचान फिरते रहते हैं ये
    कैसे अनदेखे अनसुने से घिर आते हैं ये
    उबाले समंदर के नहीं बनते है ये
    बिन मौसम तो कम ही दिखतें हैं ये
    
    मुरीदों की सौ सौ गुहार सुन
    कभी चंद बूँदें तो कभी बौछार बरसा जातें हैं ये
    ये बादल कभी सफ़ेद नर्म रुई से
    तो कभी काले धुऐं की तरह छा जातें हैं
    जाने कितनी उमीदों का बोझ ले कर चलते हैं ये
    अब के सावन उम्मीद लिए एक बादल मेरा भी होगा
    सूरज की रोशन गर्मी को मध्धम करने का बल मुझ में भी होगा
    
    कभी तेज़ चलने तो कभी रुख पलटने का दौर मेरा भी होगा
    जम के बरसेंगे बादल जो अब तक नहीं थे गरजे
    आसमान पे छाने का मज़ा कुछ और ही होगा
    
    वक़्त के अम्बर  पे एक हमसफ़र मेरा भी होगा
    अब के सावन उम्मीद लिए एक बादल मेरा भी होगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    अनकही

    मैंने अनकही सुनी है
    
     सुनी है मैंने वो सारी बातें
     जो किसी ने मुझसे न कही है
    
     सहमी हुई धडकनों की आवाज़
     छपक्ति पलकों के अंदाज़
    
     तेज़ दौड़ती साँसों की हर बात
     इन सब में छुपे वो सारे राज़
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     मुस्कुराहटों के तले दबी तड़पन
     बदलते सुलघते रिश्तों में पड़ती अड़चन
    
     बर्बादी की ओर बढ़ते कदम
     अंजाम से अनजान बेपरवाह  उन सभी समझौतों को
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     ऊँची उड़ानों में डूबते अरमानों को
     बुरे वक़्त में बदलते इंसानों को
     दोस्ती में पड़ती दरारों का आगाज़
     टूटे दिल में थमती हरकत
     मासूम आँखों ने जो पूछे  तमाम उन सभी सवालों को
    
     हाँ मैंने अनकही सुनी है
    
     सुनी है मैंने वोह सारी बातें
     जो किसी ने मुझसे न कही है
    Listen to the recitation
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    उलफ़त

    उनकी उलफ़त का ये आलम है 
    के कोरे कागज़ पे भी ख़त पढ़ लिया करतें हैं

    ज़िन्दगी ऐसी गुलिस्तां बन गयी उनके प्यार में
    के कागज़  के फूलों में ख़ुशबू ढूँढ लिया करतें हैं

    हम तो फिर भी आशिक़ हैं 
    मानने वाले तो पत्थर में ख़ुदा को ढूँढ लिया करतें हैं

  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दिवाली

    इस बरस दिवाली के दियों संग
    कुछ ख़त भी जल गये 
    कुछ यादों की लौ कम हुई 
    कुछ रिश्ते बुझ गये 
    भूले बंधनों के चिरागों तले अँधेरे जो थे
    वो मिट गये
    बनके बाती जब जले वो रैन भर
    सारे शिकवे जो थे संग ख़ाक हो गये
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    यारी

    यादों के लम्बे पाँव अकसर 
     रात की चादर के बाहर पसर जातें हैं
    
     आवारा, बेखौफ़  ये हाल में  
     माज़ी को तलाशा लिया करतें हैं
    
     ख्वाबों में आने वाले  
     खुली आँखों में समाने लगतें हैं
    
     फिर एक बार बातों के सिलसिले 
     वक्त से बेपरवाह चलतें हैं
    
     वो नादान इश्क की दास्तानें  
     वो बेगरज़ यारियाँ
    
     समाँ कुछ अलग ही बँधता है  
     जब बिछडे दोस्त मिला करतें हैं
    
     यादों के लम्बे पाँव अकसर 
     रात की चादर के बाहर पसर जातें हैं
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    क्यों

    कितने आंसू अब और बहेंगे
     कितने ज़ुल्म यूँ और सहेंगे
     
    वक़्त का एक लम्हा तो
     इस ख़ौफ से सहमा होगा
     
    ऐसी वहशत को इबादत समझे जो
     शायद ही कोई ख़ुदा होगा
     
    कितने आंसू अब और बहेंगे
     कितने ज़ुल्म यूँ और सहेंगे
    
     ऐसे ज़ख्मों का मलहम कहीं तो मिलता होगा
     कहीं किसी सीने में तो दिल धड़कता होगा
    
     अब न आंसूं और बहे ये
     अब न ज़ुल्म यूँ और सहें
    
     हम सब को अब कुछ करना होगा
     सब से पहले ख़ुद को  फिर ऐसी ख़ुदाई को बदलना होगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ये जो है ज़िन्दगी…

    आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
     मानो मुट्ठी में सिमट ही गयी है ज़िन्दगी
     साढ़े पांच इंच के स्क्रीन में कट रही है ज़िन्दगी
    
     इंसानों से स्मार्ट फोनों में
     बढ़ती भीड़ के तन्हा  कोनों में
     लोगो की बंद ज़ुबानों में
     कच्चे या पक्के मकानों में
    
     बस अब अकेले मुस्कुराने का नाम है ज़िन्दगी
     संग हमसफ़र के एकाकी बीतने का नाम है ज़िन्दगी
     आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी
    
     आजकल  बच्चे पड़ोस की घंटी नहीं बजाते
     गुस्सैल गुप्ता जी का शीशा फोड़ भाग नहीं जाते
     स्कूल बस के स्टॉप पे खड़ी मम्मियाँ आपस में नहीं बतियाते
     दफ्तर से लौट दिन भर की खबर मांगने वाले वो पापा नहीं आते
    
     अब फेसबुक पे लाइक और  चैट-ग्रुप में क्लैप करने का ढंग है ज़िन्दगी
     फुल एचडी विविड कलर में भी बेरंग हो चली है ज़िन्दगी
     आजकल कुछ बदल सी गयी है ज़िन्दगी
     चलती तो है मगर कुछ थम सी गयी है ज़िन्दगी