Shunya (शून्य)
शून्य से जन्मा हूँ मैं और शून्य में मिल जाऊँगा इस मेल के अंतराल में जीवन काल मैं बिताऊँगा अल्प है किंतु ये पूर्ण ये विराम नहीं आज के गगन का अस्त सूर्य ये हुआ नहीं मात्र कुछ शब्द कह वाणी ये न थम पाएगी पंक्तियाँ इस वाक्य की महाकाव्य ही रच जायेंगी स्वयं है लिखि जा रही हस्त की ये रेखा नहीं सीख ली है हर उस बाण से जिसने लक्ष्य भेदा नहीं कर्म मैं अपना करूँ आगे बढ़ता जाऊँगा भाग्य की धरती से मैं फल नहीं उपजाऊँगा पाया जो पितृ-तात् से दंभ उसका किंचित् भी नहीं आशंका मात्र इतनी है वृद्धि उसमें कर पाऊँ कि नहीं नयनों को विश्वास है स्वप्न सच हो जाएँगे कष्ट करने वालों को कृष्ण मिल ही जाएँगे पथ पे चल पड़ा हूँ जिस आपदा का अब भय नहीं न मिले या मिलतीं रहें उपलब्धियाँ मेरा अस्तित्व नहीं शून्य हूँ मैं और शून्य में मिल जाऊँगा अंत की अग्नि में जल कल राख़ मैं बन जाऊँगा
The Average Guy
I am your average guy The kind that hold the door for you Instead of getting ahead on the sly I am your average guy The type you call your friend Not the hottie who you wanna try I am your average guy The one who sticks around Never leaves you hanging dry I am your average guy Whose word you can rely on Not someone who’s default is a lie I am your average guy Happy always to lose to you Not hide behind if, but and why I am your average guy Your very last first kiss The love you just couldn’t deny Yes I am just an average guy
The Wiseman’s Lament
Fear not the fools For they have no pretence Fear the questions they ask For they may expose your ignorance Beware of the ignorant though They certainly are a dangerous lot Stubborn enough to keep facts at bay Smart enough to connive and plot Wisdom alone isn’t enough for the wise The wise must put it to opportune use For the fool doesn’t care much for knowledge The ignorant love status quo, tis change they refuse The fools have no concept of it The ignorant don’t find wasting it a crime Quest for knowledge is a burden for the wise Wisdom isn’t attained overnight, it accrues over time The world is fair and uniformly unkind to all No matter you are the fool, ignorant or wise The wise in their knowledge of it suffer more After all, “Ignorance is bliss in fool’s paradise”
The Mind Shapers
A tribute to all the potters Who shape the human mind To those who see each piece of clay And believe that it is one of a kind Their knowledge like deft fingers Shaping and moulding the clay Expertly spinning the wheel Fast at times, at times slowing play Carefully grinding and dusting Allowing the contours to appear Baking and glazing every single one To make them last many a year So here’s an expression of gratitude Towards all those wonderful artisans The teachers who have crafted us all Into becoming our best possible versions
Unstoppable
My nation stands at the precipice A fledgling ready to leave the perch Yet a maven helming a new world A beacon of a wise and vibrant past A billion hopes ready to take wing Aspirations waiting to fly high A populace with a newfound voice Diaspora that has found the spotlight You know you can reach where you’re going Once you know where you started from India today is an idea whose time has come Our tryst with our destiny has only just begun
Us Raat Ki Baat (उस रात की बात)
उस रात की बात कुछ और ही थी दिलचस्प क़िस्सों और यादों की होड़ सी थी नये पुराने रिश्तों बीच लगी एक दौड़ सी थी चेहरे जो धुंधला गए थे वो साफ़ खिल गए कुछ मलाल भी होंगे जो उस रात धुल गए बीते सालों का असर कहीं छिपा कहीं ज़ाहिर था गहराते रिश्तों के मंज़र का हर शक्स नाज़िर था इतनी हसीन थी मुलाक़ातें के शाम कम पड़ गई या यूँ कह दें की अपना काम बहती जाम कर गई ख़ुशियों का उठता ग़ुबार बारिश भी दबा न सकी लगी जो आग है मिलन की वो कब है रुकी उस रात की बात कुछ और ही थी उस रात की बात कुछ और ही थी
Khayal (ख़याल)
ख़याल कुछ यूँ आया कि बहुत दिन हुए कुछ लिख़ा नहीं उसी के हाथ थामे ख़याल एक दूसरा आया कि बीते दिनों लिखने लायक कुछ दिखा नहीं अब ख़यालों का कुछ ऐसा है कि एक-दो पे कभी सिलसिला रुका नहीं फिर लगा कि इस बात पे ही कुछ कह देतें हैं कम होता है कि लिखने बैठें और क़ाफ़िया मिला नहीं दम भर ले शायरी का जितना भी बात ग़ाफ़िल ये मुख़्तसर सी है कि शायर तेरी भरी तिजोरी भी बिना लफ़्ज़ों के समझो ख़ाली ही है
Kisi Roz (किसी रोज़)
कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे एक बार पीछे मुड के देखा के नहीं याद में हमारी दो बूँद रोये के नहीं कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे जब भी गुज़रे होगे तुम गली से हमारी एक नज़र तो फ़ेराई होगी दर पे हमारी कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे वो जो यादें बनाई थीं उन यदों का क्या हुआ वो जो क़समें लीं थी उन क़समों का क्या हुआ कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे के इतने बरसों में तुमने क्या क्या भुला दिया जो थी कशिश दरमियाँ उसे कैसे मिटा दिया कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे क्या समझे थे जिसे वो प्यार था भी या नहीं क्या ये दर्द बेवजह है और तुम बेवफ़ा नहीं कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
Armageddon
Things aren’t always
As they seem the wise say
Life is after all, about the greys
And the games people play
Be wary of the silences
For in them lie the seeds
Of perceptions and pretences
Scheming and devious deeds
Minds with power to spread fear
No sweat broken when a lie is told
Bereft of emotion, never ever a tear
Ethics pawned and conscience sold
Gather ye the guardians of good
For the hour of reckoning has come
Stand for what’s right as you should
Fight for all and not just for some
The brave must protect and fight
For the meek to inherit the earth
Light torches, shine the path bright
Time to show what truth is worth
Blow hard, blow high, blow strong
Drive those storm clouds far away
For good takes time to come along
When it does, hold on, make it stayEkant (एकांत)
बीती रात खिचे परदों के उस तरफ
कड़कती बिजली, तेज़ हवाओं का शोर
और गरजते बादलों का कोलाहल था
इस तरफ़ था बीतते पलों का एहसास
कट गई या करवटों में काट दी
चैन की नींद मानो एक एहसान थी
आँख जब खुली तो सन्नाटा सा था
परदों के बीच एक किरण फूट रही थी
जैसे उस पार के नज़ारे का न्योता दे रही थी
भोर का चित्त निशा के विपरीत मौन था
खुले परदों और गुज़री रैन के कालांतर में
एकांत का वज़न और बदला दृष्टिकोण था