• Hindi Poetry | कविताएँ

    दोस्ती की expiry date

    क्या दोस्ती की भी expiry date होती है 
     या उम्र भर साथ की guarantee होती है
    
     कल की नोंक झोंक आज जाने क्यों दिल दुखाने लगती है 
     अचानक कोई भूली बात जबरन आ आ के सताने लगती है
     
    ना मालूम क्यों उम्मीदों का traffic one way हो जाता है 
     कभी हँसते थे संग जिसके वो क्यों रूला रूला के जाता है
     
    जो चैन देता था कल आज वही चुराता है 
     शायद हर दोस्ती में ये दौर भी आता है
    
    ख़िज़ा की रुत होगी ये कभी न कभी तो बदल जानी है 
     बहार जब तलक फिर न आए तब तक हर हाल निभानी है
     
    कहाँ दोस्ती की कोई expiry date होती है 
     यहाँ तो उम्र भर साथ की guarantee होती है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    बटवारा

    मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है 
     सैंतालीस में मुद्दा ज़मीन थी 
     आज कल जंग है यकीन की 
     इक अंधा सा जोश सर पानी हो चला है
     
     आज की अदालत प्रचार माध्यम हैं 
     जूरी जन्ता और हर घर अदालत है 
     अपने यकीं को लिए हर शक़्स 
     कटघरे के दोनों तरफ खड़ा है
     
     आज़ादी बोलने की पुरज़ोर आज़मातें हैं 
     शब्दों के वार का अजब सिलसिला है 
     बोल-चाल में सब्र कहीं ग़ुम हो गया है 
     दो बाटन के बीच मेरा मुल्क पिस रहा है 
    
     ख़ेमे बटे हुए हैं रंगों के चहुँ ओर 
     कहीं भगुआ तो कहीं हरे की लग रही है होड़ 
    बिना मंज़िल की लगी दौड़ है 
     मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    धुन

    अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
     सुर उसके सासों से सजते हैं
     और देती धड़कनें ताल हैं
    
     दबी हुई थी कहीं वो सालों से
     जाने किस पल के इंतेज़ार में
    
     ख़ुद से ख़ुद बेख़बर हो के 
     मानो कुछ ढूँड़ रही थी फ़िलहाल में
    
     एकाएक दिल के ढोल जब बजने लगे
     सहमे सुस्त पड़े पैर थिरकने लगे
    
     होंठ बजाने लगे जब यूँ ही सीटियाँ
     हाथ दोनों जब स्वयं लगे देने तालियाँ
    
     लय बन लहर दौड़ गई है जो 
     जीवन को जीवन्त कर रही है वो
    
     हर तान से एक नई तरंग जो उठती है 
     इश्क़ नाम है धुन का - वही ज़िंदगी है
    
     अनसुनी सी एक धुन है
     लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    चलो… (कुछ करते हैं)

    चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं
     कुछ पुरानी बातें कुछ रूमानी संग
     भरते हैं बादलों में अपने रंग 
     भूली यादों की लड़ी पिरोते हैं
    
     याद है जब चौक पे गाड़ी रोक के 
     कभी नयी कभी अध जली सिगरेट जलाते थे 
     फटे स्पीकरों से ऊँची आवाज़ में गीत गाते थे 
     दोस्ती की क़समें खाते थे सीना ठोक के
    
     एक बार तो छोड़ भी आया था ना बीच राह में 
     बनाया था कुछ अजीब सा ही बहाना
     ख़ूब हुई मिन्नतें चला था रूठना मनाना
     शब गुज़ारते हैं ऐसी ही किसी क़िस्से की बात में
    
     चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं
     कुछ अलग बातें कुछ बदले ढंग
     उड़ाते है क़िस्सों की नयी पतंग 
     किसी की याद में एक ताज़ा याद बनाते हैं
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    सपना

    Building a dream!
    चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     ख़्वाबों के हसीन जहाँ के
     कुछ रंग तुम चुनो
     और कुछ मैं चुनूँ
     आसमान में रंग भरतें हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     छोटे से इक घोंसले के
     कुछ तिनके तुम जोड़ो
     और कुछ मैं जोड़ूँ
     आशियाँ अपना पिरोते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     प्यार भरे दिल की
     एक धड़कन तुम बनो
     एक धड़कन मैं बनूँ
     जीवन ताल बनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
     अपने प्रेम गीत के
     कुछ बोल तुम लिखो
     कुछ बोल मैं लिखूँ
     धुन नयी चुनते हैं
    
     चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
    
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दुआ

    मैं जानता हूँ डर है तुमको
     ये रास्ते हमारे ना हो जायें जुदा
     रूठूँ कभी मैं या तू नाराज़ हो
     यारी ये गहरी रहेगी सदा
     तुझसे नहीं कोई शिकवा मुझे
     ना मेरे से है तुझको गिला
     टकराव होते विचारों के हैं
     कहे तू बुरा या कहूँ मैं भला
     चाहूँगा हर दम ये तेरे लिए
     जीवन में राहें सही तू चुने
     ख़ुश तू रहे हो तू आबाद
     दुआ है मेरी तू बरसों जिए
    
    	
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    नया साल

    कल की बीती को भुला दो
     अपने रूठों को आज मना लो
     इस बरस दिन तो फिर उतने ही होंगे
     मौक़े शायद फिर उतने न और मिलेंगे
     चलेगा जब नया साल
     दिन हफ़्ते महीनों की चाल
     कुछ पहचाने तो नए कुछ मिलेंगे रिश्तों के रास्ते
     लय होगी उनकी कभी मद्धम कभी तेज़ कभी आहिस्ते
     ये गोला तो सूरज की परिक्रमा फिर करेगा
     सर्द गरम और वर्षा का दौर यूँ चिरकाल चलेगा
     हर बदलता साल अपने संग रिश्तों का जश्न है लाता
     बिन साथियों के मने तो कहाँ कोई मज़ा है आता
     अनमोल हैं रिश्ते बस उन्ही को रखना है सम्भाल के
     कौन जाने साथ कितनों का और कितना और मिलेगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    दोस्ती का हिसाब

    एक रोज़ बस यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे
     मस्ती, समझदारी, वफ़ादारी और बेवक़ूफ़ी के नाम हिस्से बटे
     कुछ दोस्त इधर बटे और कुछ यार उधर बटे
     कुछ तो ऐसे थे जो सोच से ही छटे
     एक रोज़ जब यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे
     सिर्फ़ मस्ती करने वाले दोस्तों की कसर न दिखी
     बेवक़ूफ़ियों और बेवक़ूफ़ों की गिनती भी कम न थी
     जब आढ़े वक़्त ने आज़मा के देखा तो एक-आध वफ़ादार भी मिले
     एक रोज़ जब यूँ ही दोस्ती का हिसाब करने बैठे
     हमने जाना की कुछ दोस्त ऐसे भी थे
     जो किसी भी खेमे में न बट सके
     कुछ नायाब जो दोस्त से ज़्यादा थे, कुछ वो जो दोस्ती के ही क़ाबिल न थे
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    मौक़ा

    क्यों परेशान से दिखते हैं लोग हर तरफ़
     आख़िर है क्या इस बेचैनी का सबब
     इतनी दुनिया में दुनिया से नाराज़गी क्यों है भला
     छोटी छोटी बातों पे क्यों ख़ून उबलने है चला
     तेरे मेरे का फ़ासला तो पहले भी कम न था
     मगर इतनी नफ़रत ऐसा रंज-ओ-ग़म न था
     कुछ तो होगा इलाज कोई तो होगी दवा
     मिल के फूकेंगे तो शायद चलेगी बदलेगी हवा
     कहाँ इतिहास में सियासतदारों ने अमन की राह चुनी है
     एहतराम और मोहब्बत के धागों ने इस देश की चादर बुनी है
     निकलेगी आवाम घर से तो कुछ तो हालात बदल पायेंगे
     वरना यूँ बोलते बोलते तो फिर से पाँच साल बीत जायेंगे
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    भेलपूरी वाला

    एक दिन की बात है
     कुछ तीस बत्तीस बरस पहले की
     भारी सा बैग लटकाए स्कूल के बाद
     घर अपने मैं पैदल जा रहा था
     खुली स्लीव ढीली टाई
     राह पड़े किसी कंकर को 
     अपने काले जूते का निशाना बना
     धुन अपनी में चला जा रहा था
     यकायक पीछे एक साइकल की घंटी बजी
     मटमैला कुर्ता पहने एक सज्जन सवार था
     जानी पहचानी सी सूरत थी उसकी 
     आवाज़ में उसकी अनजाना सा प्यार था
     “बैठो, मैं छोड़ देता हूँ बेटा” बोला वो मुस्कुराते
     मेरी हिचक को भी वो भाँप रहा था
     “तुमने पहचाना नहीं मुझे लगता है 
     लेकिन तुम को मैं हमेशा रखूँगा याद”
     सवाल मेरे चेहरे पे पढ़ के वो बोला
     “पहले ग्राहक थे तुम मेरे
     जिस दिन रेडी लगायी थी मैंने”
     ये सुन याद और स्वाद दोनों लौट आए
     सालों तलक जब कभी भी बाज़ार जाता
     उसकी आँखों में वही प्यार नज़र आता 
     शायद वही मिला था उसकी भेलपूरी में 
     चाव से हमेशा जिसे मैं था खाता
     सुना अब वो इस दुनिया में नहीं है 
     याद कर उसको आँखों में नमी है 
     कहता था सब को हमेशा कहूँगा
     दुनिया की सबसे अच्छी भेलपूरी वही है