Hindi Poetry | कविताएँ
पढ़ें सुधाम द्वारा लिखी कविताएँ। सुधाम के लेखन में श्रृंगार, करुणा, अधभुत आदि रसों का स्वाद सम्मिलित है।
अब तक त्रेपन
गर यूँ अचानक छोड़ न देती साथ तो आज तुम त्रेपन की होती न कटी होती तुम से ये जो डोर तो कहाँ बातें हमारी कभी पूरी होतीं अनोखा बड़ा था तुम्हारा प्यार दिखाने का ढंग आज तुम्हारे वो थप्पड़ कितनी ख़ुशी से क़ुबूल होते काटे जो लम्हा लम्हा लड़ झगड़ तुम्हारे संग वैसे ही काश कुछ पल और मिल गए होते कभी दीदी, कभी सहेली, तो कभी माँ ऐसी सरलता से तुम रूप बदल लेती करती बदमाशी भी मेरी तरह कभी सज़ा भी तुम ही देती कितना मज़ा होता ज़िंदगी साथ जीने में राहें कटतीं जो तेरे संग, कितनी ये आसान होतीं न छिन गया होता जो हमसे तुम्हारा हाथ तो आज तुम त्रेपन की होती
बदलते रिश्ते
नाज़ुक होतें हैं ये सम्हाल कर इन्हें रखिएगा रेशम की डोरियाँ हैं ये गर तन जायें तो ज़ख़्म ही पाइएगा क्यों कर उलझते हैं रिश्ते सर्द शीशे से चटक जातें हैं रिश्ते जाने कब और कैसे बिखर जातें हैं यकायक अपने बेपरवाह हो जातें हैं कब बचा है कोई इस रंज-ओ-ग़म से किसे मिलती है दवा जियें जिस के दम पे यारी दोस्ती प्यार वफ़ा सब बेमानी है बिगड़ी भली जैसी हो बस चलानी है गाँठ पड़ी डोर तो कमज़ोर हो ही जाती है जुड़े आइने में दरार फिर भी नज़र आती है नाते रिश्तों की तो बस यही कहानी है जो हाथ लगा वो मिट्टी जो बह गया सो पानी है
निश्चय
दूर भले ही हो मंज़िल कदम कदम बढ़ाना है पथ में थक जाए जो साथी हर दम साथ निभाना है मिलजुल के चलेंगे हम हमें अपना कल आज बनाना है तूफ़ान भले ही हो प्रबल हमको तो दीप जलाना है उम्मीद से है हर दिल रोशन हमें ज्योत से ज्योत जगाना है मिलजुल के चलेंगे हम हमें अपना कल आज बनाना है कठिनाई चाहे हो अनेक जूझ के उन्हें हटाना है बादल चाहे हो घने बरस के तो छट जाना है मिलजुल के चलेंगे हम हमें अपना कल आज बनाना है थकना नहीं है रुकना नहीं है सपनों को सच कर के दिखाना है ख़ुशियों से भरा होगा हर घर भारत ने अब यही ठाना है मिलजुल के चलेंगे हम हमें अपना कल आज बनाना है
यक़ीन-ए-इश्क़
भुला पाओगे नहीं ये यक़ीन है मेरा जाओ फिर भी तुम्हें ये मौक़ा दिया कहाँ पाओगे ऐसा जैसा प्यार मेरा लो ये भी दुआ दे आज़ाद किया नहीं देंगे तुझे आवाज़ फिर न देखेंगे कभी फिर कूचा तेरा भुला देंगे सब कुछ तेरे ख़ातिर न याद कराएंगे कोई वादा तेरा दूर कहीं जा कर दुनिया से मेरी नया अपना जहाँ बसा लेना भूले से महक न आए मेरी काग़ज़ के फ़ूल सजा लेना गर याद फिर भी आए जो मेरी आँखें अपनी बंद कर लेना दिल तोड़ेंगे तेरा ख़्यालों में तेरी तुम बेवफ़ा मुझे फिर कह देना ये इल्ज़ाम भी अपने सर ले लेंगे बस तुम अपना सब्र रख लेना इश्क़ किया था माफ़ भी कर देंगे बस एक फ़ूल मेरी कब्र पर रख देना
दोस्ती की expiry date
क्या दोस्ती की भी expiry date होती है या उम्र भर साथ की guarantee होती है कल की नोंक झोंक आज जाने क्यों दिल दुखाने लगती है अचानक कोई भूली बात जबरन आ आ के सताने लगती है ना मालूम क्यों उम्मीदों का traffic one way हो जाता है कभी हँसते थे संग जिसके वो क्यों रूला रूला के जाता है जो चैन देता था कल आज वही चुराता है शायद हर दोस्ती में ये दौर भी आता है ख़िज़ा की रुत होगी ये कभी न कभी तो बदल जानी है बहार जब तलक फिर न आए तब तक हर हाल निभानी है कहाँ दोस्ती की कोई expiry date होती है यहाँ तो उम्र भर साथ की guarantee होती है
बटवारा
मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है सैंतालीस में मुद्दा ज़मीन थी आज कल जंग है यकीन की इक अंधा सा जोश सर पानी हो चला है आज की अदालत प्रचार माध्यम हैं जूरी जन्ता और हर घर अदालत है अपने यकीं को लिए हर शक़्स कटघरे के दोनों तरफ खड़ा है आज़ादी बोलने की पुरज़ोर आज़मातें हैं शब्दों के वार का अजब सिलसिला है बोल-चाल में सब्र कहीं ग़ुम हो गया है दो बाटन के बीच मेरा मुल्क पिस रहा है ख़ेमे बटे हुए हैं रंगों के चहुँ ओर कहीं भगुआ तो कहीं हरे की लग रही है होड़ बिना मंज़िल की लगी दौड़ है मेरे देश का फिर बटवारा हो रहा है
धुन
अनसुनी सी एक धुन है लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं सुर उसके सासों से सजते हैं और देती धड़कनें ताल हैं दबी हुई थी कहीं वो सालों से जाने किस पल के इंतेज़ार में ख़ुद से ख़ुद बेख़बर हो के मानो कुछ ढूँड़ रही थी फ़िलहाल में एकाएक दिल के ढोल जब बजने लगे सहमे सुस्त पड़े पैर थिरकने लगे होंठ बजाने लगे जब यूँ ही सीटियाँ हाथ दोनों जब स्वयं लगे देने तालियाँ लय बन लहर दौड़ गई है जो जीवन को जीवन्त कर रही है वो हर तान से एक नई तरंग जो उठती है इश्क़ नाम है धुन का - वही ज़िंदगी है अनसुनी सी एक धुन है लफ़्ज़ जिसमें गुम हैं
चलो… (कुछ करते हैं)
चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं कुछ पुरानी बातें कुछ रूमानी संग भरते हैं बादलों में अपने रंग भूली यादों की लड़ी पिरोते हैं याद है जब चौक पे गाड़ी रोक के कभी नयी कभी अध जली सिगरेट जलाते थे फटे स्पीकरों से ऊँची आवाज़ में गीत गाते थे दोस्ती की क़समें खाते थे सीना ठोक के एक बार तो छोड़ भी आया था ना बीच राह में बनाया था कुछ अजीब सा ही बहाना ख़ूब हुई मिन्नतें चला था रूठना मनाना शब गुज़ारते हैं ऐसी ही किसी क़िस्से की बात में चलो आज रात कहीं बैठ के पीतें हैं कुछ अलग बातें कुछ बदले ढंग उड़ाते है क़िस्सों की नयी पतंग किसी की याद में एक ताज़ा याद बनाते हैं
सपना
चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं ख़्वाबों के हसीन जहाँ के कुछ रंग तुम चुनो और कुछ मैं चुनूँ आसमान में रंग भरतें हैं चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं छोटे से इक घोंसले के कुछ तिनके तुम जोड़ो और कुछ मैं जोड़ूँ आशियाँ अपना पिरोते हैं चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं प्यार भरे दिल की एक धड़कन तुम बनो एक धड़कन मैं बनूँ जीवन ताल बनते हैं चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं अपने प्रेम गीत के कुछ बोल तुम लिखो कुछ बोल मैं लिखूँ धुन नयी चुनते हैं चलो मिल कर एक सपना बुनते हैं
दुआ
मैं जानता हूँ डर है तुमको ये रास्ते हमारे ना हो जायें जुदा रूठूँ कभी मैं या तू नाराज़ हो यारी ये गहरी रहेगी सदा तुझसे नहीं कोई शिकवा मुझे ना मेरे से है तुझको गिला टकराव होते विचारों के हैं कहे तू बुरा या कहूँ मैं भला चाहूँगा हर दम ये तेरे लिए जीवन में राहें सही तू चुने ख़ुश तू रहे हो तू आबाद दुआ है मेरी तू बरसों जिए