परिचय

आज धूल चटी किताबों के बीच
 ज़िन्दगी का एक भूला पन्ना मिल गया
 धुँधले से लफ़्ज़ों के बीच
 पहचाना सा एक चहरा खिल गया
 अलफ़ाज़ पुराने यकायक जाग उठे
 मानो सार नया  कोई मिल गया
 दो पंक्तियों के चंद लमहों में
 एक पूरा का पूरा युग बीत गया
 आज धूल चटी किताबों के बीच
 मुझ को मैं ही मिल गया