जाने कितनी दफ़ा
कंधे पे तेरे सर रख के
घंटों सोया हूँ मैं
जाने कितनी दफ़ा
तेरे आँचल तले
बिलख़ के रोया हूँ मैं
जाने कितनी दफ़ा
मेरी छोटी सी छींक ने
रात भर जगाया होगा
जाने कितनी दफ़ा
मेरी किसी नादानी ने
तेरा दिल दुखाया होगा
जाने कितनी दफ़ा
मेरे भविष्य की
चिंता तूने की होगी
जाने कितनी दफ़ा
मेरी एक पुकार पे
तुम हर काम छोड़ भागी होगी
जाने कितनी दफ़ा
ये सोचता हूँ क्या मैंने तुम्हें
गर्वान्वित होने का कभी मौक़ा दिया
जाने कितनी दफ़ा
ये सोचता हूँ क्या अलग करता
कैसे मैंने तुम्हें यूँ अचानक खो दिया
जाने कितने दफ़ा
मैं ख़ुद को और लोग मुझको
इसे होनी की चाल बताते हैं
जाने कितनी दफ़ा
यादें और ख़याल
तेरे होने का एहसास दिलाते हैं
जाने कितनी दफ़ा
फिर दो आसूँ बहा
तुम्हारा स्मरण करता हूँ
जाने कितनी दफ़ा
शीश झुका के माँ
तेरे जीवन को नमन करता हूँ