जब मंज़िलें धुंदली हों
और जब रास्ते हो अनजाने
क्या तुम साथ दोगे
जब सासें फूलने लगे
और चलना हो नामुमकिन
क्या तुम साथ दोगे
जब हौंसले हो तंग
और जब हिम्मत न बन्धे
क्या तुम साथ दोगे
जब उम्मीदें जॉए बिखर
और निराशा ही हाथ लगे
क्या तुम साथ दोगे
जब जेबें हो खाली
और तेज़ भूक लगे
क्या तुम साथ दोगे
जब चिलचिलाती हो धुप
और कहीं छाँव न दिखे
क्या तुम साथ दोगे
जब सब दामन चुरा लें
और कोई मान न दे
क्या तुम साथ दोगे
जब सात वचन मैं लूँ ये
और हाँ कह निभाऊँ उम्र भर उन्हें
क्या तुम साथ दोगे