तू है…के नहीं?

He and I. Used for Tu Hai Ke Nahin a poem by Sudham
He and I
आज एक याद फ़िर ताज़ा हो चली है
संग वो अपने सौ बातें
और हज़ार एहसास ले चली है

तोड़ वक़्त के तैखाने की ज़ंजीरें
खुली आँखों में टंग गयी
बीते पलों में बसी तस्वीरें

सुनाई साफ़ देती है हर बात
अफ़सानों का ज़ायका
और निखर गया है सालों के साथ

दर्द और ख़ुशी का अजब ये मेल है
संग हो तुम फिर भी नहीं हो
बस यही क़िस्मत का खेल है