इस दौड़ती थकाती ज़िंदगी से
एक पल चुराना ये दिल चाहता है
किसी भूले से पसंदीदा एक गीत के
दो बोल गुनगुनाना ये दिल चाहता है
बिन मतलब बंध जाते थे जो
ऐसे मीत ये दिल चाहता है
बिन मौसम बेइंतहा बरसती रहे जो
ऐसी प्रीत ये दिल चाहता है
ख़र्च अपने किसी शौक़ पे कर सकें
वो फ़ुरसत ये दिल चाहता है
चल पड़ें किसी रूमानी डगर पर
ऐसी हिम्मत ये दिल चाहता है
कथनी करनी में भेद ना हो जिनमें
वो बोल बोलना ये दिल चाहता है
मर्यादा जो मनसपूर्ण और सच्ची हो
वो लेना-देना ये दिल चाहता है
चाहत में जहाँ निजी स्वार्थ न हो
वो दुनिया ये दिल चाहता है
बिन माँगे पूरी करे जो सबकी दुआ
ऐसा ख़ुदा ये दिल चाहता है