अब तो जवान और बच्चे भी होने लगे बीमार
हद की भी हद हो गयी है पार
किस बात का है तुमको इंतेज़ार
मास्क पहन लो ना यार
देश शहर क़स्बा मोहल्ला घर पे भी हुआ वार
धज्जियाँ उड़ गयी, व्यवस्था पड़ी है तार तार
छोड़ो क्यों ज़िद पे अड़े हो बेकार
मास्क पहन लो ना यार
उनसे पूछो जिनके अपने बह गए, तर न सके पार
उठ गए सर से साये, बिखर गए कई घर बार
क्यूँ आफ़त को दावत देते हो बार बार
मास्क पहन लो ना यार
मिलेंगे मौक़े आते जाते भी रहेंगे त्योहार
ज़िंदगी रहेगी तो फिर मिलेंगी बहार
बहस छोड़ो सड़क पे चलो या by car
मास्क पहन लो ना यार
खुद तुम मानो संग मनाओ तुम यार तीन चार
अपने और अपनों के लिए करो ये आदत स्वीकार
मान जाओ ना, हो जाओ तैयार
मास्क पहन लो ना यार