दिवाली

इस बरस दिवाली के दियों संग
कुछ ख़त भी जल गये 
कुछ यादों की लौ कम हुई 
कुछ रिश्ते बुझ गये 
भूले बंधनों के चिरागों तले अँधेरे जो थे
वो मिट गये
बनके बाती जब जले वो रैन भर
सारे शिकवे जो थे संग ख़ाक हो गये