आशाएँ
लो आ गया जन्मदिन, आ गयी फिर एक सालगिरह हम इस गोले संग एक सौर्य परिक्रमा और कर आए कुछ साल पहले तक तो थे काले घने अब तो दाढ़ी के बाल भी पकने को आए उम्मीदें जो बचपन ने जवानी से की थी कुछ भूल ही गए, कुछ सच हुईं, कुछ निभी न निभाए दौर तो अच्छे बुरे जैसे तैसे सारे ही बीत गये हासिल तो वो है जो दोस्त सदा संग पाए आशाएँ जीवन से आज भी हैं समय अब चाहे जितना हो ज़रूरी ये नहीं के सारी पूर्ण हों, बस कोई कोशिश अधूरी न रह जाए