विश्वास का दीया
खुली हवा है वो आज़ादी की शीतल करे जो जब मध्धम चले एक ओर जो हो हावी तो बने आँधी कैसे तूफ़ानों में कोई दीया जले अलगाव की चिंगारी कहीं दामन ना लगे मिल के बढ़ने के लिए दिल भी बड़े रखने होंगे दूर अभी हैं वो मंज़िलें जहाँ ख़ुशहाली मिले कटे तने से चलने से कैसे ये रास्ते तय होंगे इरादे नेक वही जो अमल में आएँ कथनी और करनी को अब मिलाना है तेरे मेरे के ये फ़ासले चलो मिल मिटाएँ विश्वास लेना देना नहीं कमाना है